Sankashti Chaturthi 2019: संकष्टी चतुर्थी पर‘श्वेतार्क’ से करें पूजा, भगवान गणेश पूरी करेंगे हर मनोकामना
श्वेतार्क यानी मदार एक ऐसा ही वनस्पति है, जिसके मूल में गणेश जी का प्रत्यक्ष स्वरूप होता है. गणेश संकष्टी चतुर्थी के दिन इस श्वेतार्क के मूलकी वैदिक पूजा करने से गणेश जी की कृपा सदैव बनी रहती है एवं जीवन में आनेवाली तमाम बाधाओं का नाश होता होता है.
Sankashti Chaturthi 2019: विघ्न विनाशक व देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश जी (Lord Ganesha) का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन हुआ था. चतुर्थी के दिन जन्म लेने के कारण इस तिथि (Chaturthi Tithi) का भी महात्म्य बढ़ जाता है. यही वजह है वर्ष के किसी भी माह के शुक्ल अथवा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा फलदाई मानी जाती है. मान्यता है कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन बहुउद्देश्यी वनस्पति श्वेतार्क (Shwetark) (मदार) (giant calotrope) के फूल एवं जड़ से पूजन करने से श्री गणेश बहुत प्रसन्न होते हैं. यह संयोग ही है कि श्वेतार्क यानी मदार के फूल और फल भगवान शिव (Lord Shiva) को भी बहुत पसंद है. आइए जानें गणेश संकष्टी (Ganesh Sankashti) के दिन इसकी पूजा का विधि–विधान एवं फल क्या हैं?
वनस्पतियों में ऐसे कई दुर्लभ पौधे एवं वृक्ष हैं, जिनमें हिंदू देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष जुड़ाव अथवा वास होने की बात कही जाती है. श्वेतार्क यानी मदार एक ऐसा ही वनस्पति है, जिसके मूल में गणेश जी का प्रत्यक्ष स्वरूप होता है. गणेश संकष्टी चतुर्थी के दिन इस श्वेतार्क के मूलकी वैदिक पूजा करने से गणेश जी की कृपा सदैव बनी रहती है एवं जीवन में आनेवाली तमाम बाधाओं का नाश होता होता है. शास्त्रों में मदार की स्तुति इस मंत्र के साथकरने का विधान है.
चतुर्भुज रक्तनुंत्रिनेत्रं पाशाकुशौ मोदरक पात्र दन्तो,
करैर्दधयानं सरसीरूहस्थं गणाधि नामंराशि चू यडमीडे। यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2019: पति और पुत्र की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत, इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा
गणेश जी को लाल रंग बहुत पसंद है, इसलिए गणेश जी की पूजा करते समय लाल वस्त्र धारण करके लाल आसन, लाल पुष्प, लाल चंदन, लाल रत्न-उपरत्न की माला से गणेश जी का पूजन सम्पन्न करना चाहिए. साथ ही गणेश को सिंदूर का तिलक लगाने के बाद स्वयं के मस्तष्क पर रोली का तिलक करना चाहिए.
नैवेद्य में भी गुड़ एवं मूंग के लड्डू गणेश जी को अर्पित करके निम्न मंत्र का 101 बार जप करना चाहिए.
मंत्र- 'ऊँ वक्रतुण्डाय नमः'
चूंकि श्वेतार्क सहजता से कहीं भी उपलब्ध हो जाता है, इसलिए गणेश संकष्टि पर इसका उपयोग कर लाभ अर्जितकरना चाहिए.
कैसे करें पूजन?
गणेश संकष्टी के दिन किसी साफ-सुथरे स्थान पर लगे श्वेतार्क (मदार) के पौधे को घर लाएं एवं उसे अच्छे से धोकर उस पर सिंदूर का लेप लगाएं. गणेश जी की प्रतिमा के पास शांत भाव से बैठकर श्वेतार्क के मूल की पंचोपचार पूजन करें. अब श्वेतार्क के मूल का गाय के दूध से अभिषेक करें. अभिषेक करते समय गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें. अभिषेक सम्पन्न होने के पश्चात 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र की 1 या 11 माला का जाप करें. यह जप पूर्ण होने के उपरान्त हवन करें. अंत में गणेश जी को ध्यान कर, मन की इच्छा मन ही मन व्यक्त करें. मान्यता है कि गणेश भगवान हर मन्नत को पूरी करते हैं. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat in Year 2019: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वालों के जीवन से सारे कष्ट दूर करते हैं भगवान गणेश, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की लिस्ट
शत्रु पर विजय के लिए श्वेतार्क की जड़ का करें पूजन
जो व्यक्ति घर या घर के बाहर के किसी शत्रु संकट से ग्रस्त है और उससे मुक्ति पाना चाहता है, तो उसे गणेश चतुर्थी के दिन श्वेतार्क मदार की छोटी-सी जड़ की शास्त्रोक्त विधि से स्थापित कर विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. इसके पश्चात श्वेतार्क की जड़ को चांदी के लॉकेट में रख कर गले में धारण करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं. इसे ताबीज में भी पहना जा सकता है. विधि-विधान से पूजे गये श्वेतार्क की जड़ धारण करने वाले व्यक्ति को कभी किसी शत्रु से भय नहीं रहता.