Navratri 2018: ब्राह्मण न मिले तो आप खुद कर सकते हैं दुर्गाष्टमी और महानवमी पर हवन, जानें इसकी आसान विधि
अगर आपके आसपास किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव है तो हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करके हवन करने पर इससे मुक्ति मिलती है. इसके अलावा स्वास्थ्य, समृद्धि और कई मांगलिक कार्यों में भी हवन इत्यादि करने का विधान है.
जो लोग नवरात्रि में नौ दिनों का उपवास करते हैं वो दुर्गाष्टमी या नवमी तिथि पर हवन करवाते हैं. कहा जाता है कि मां दुर्गा की पूजा हवन के बिना अधूरी होती है. पुराणों के अनुसार, हिंदु धर्म में हवन और यज्ञ जैसे कर्मकांड को शुद्धिकरण का एक जरिया माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आपके आसपास किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव है तो हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करके हवन करने पर इससे मुक्ति मिलती है. इसके अलावा स्वास्थ्य, समृद्धि और कई मांगलिक कार्यों में भी हवन इत्यादि करने का विधान है.
खासकर नवरात्रि के पावन पर्व पर दुर्गाष्टमी और महानवमी तिथि को हवन करने का विशेष महत्व है, लेकिन कई बार हवन के लिए ब्राह्मण समय नहीं दे पाते हैं, जिसके चलते परेशानी बढ़ जाती है. अगर आपको भी नवरात्रि में हवन के लिए ब्राह्मण समय न दे पाए तो आप खुद ही घर पर माता जी का हवन कर सकते हैं. चलिए हम आपको बताते हैं हवन की आसान विधि, जिससे आप अपने पूर परिवार के साथ हवन करके दुर्गा पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं.
आवश्यक सामग्री
नवग्रह समिधा, आम की लकड़ी, नीम की लकड़ी, बेल की लकड़ी, पलाश, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की पत्ती, अश्वगंधा की जड़, कपूर, लौंग, इलायची, कमलगट्टा, चावल, ब्राह्मी, मुलेठी की जड़, घी, शक्कर, जौ, गुग्गल, लोभान, नारियल, लाल धागा, सुपारी, पान, जायफल और अन्य वनस्पतियों का बूरा इत्यादि. इसके अलावा गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियां या उपले घी में डुबोकर हवन कुंड में डालने हर प्रकार के जीवाणुओं का नाश होता है और वातावरण शुद्ध होता है. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: कन्या पूजन के बाद ही संपन्न होता है नवरात्रि का व्रत, जानें कितनी होनी चाहिए उनकी उम्र?
इस विधि से करें हवन
हवन करने के लिए सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद, हवन कुंड में आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर अग्नि प्रज्वलित करें. इसके लिए आप घी का भी उपयोग कर सकते हैं. इसके बाद इन मंत्रों के उच्चारण से हवन शुरू करें.
ओम अग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम वरुणाय नम: स्वाहा, ओम सूर्यादि नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा, ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा.
ओम जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा, ओम ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्रे शनि राहु केतवे सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा, ओम गुर्रु ब्रह्मा, गुर्रु विष्णु, गुर्रु देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा, ओम त्रयम्बकम यज्ञा महे सुगान्धी पुष्टि वर्धनम् उरवारूकमिव बन्धनान मृत्योर मुक्षीय मामृतात मृत्युन्जाय नम: स्वाहा, ओम शरणागत दीनार्थ परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते.
इन चीजों से दे आहुति
इन मंत्रों का जप करने के बाद नारियल में कलावा बांधकर उसे अग्नि में समर्पित करें. इस विधि को वोलि कहते हैं. फिर पूर्ण आहूति के रूप में नारियल, घी, लाल धागा, पान, सुपारी, लौंग, जायफल आदि स्वाहा करें.
आहुति के लिए मंत्र
पूर्ण आहुति के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें. "ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा" पूर्ण आहुति के बाद मां दुर्गा को दक्षिणा अर्पित करनी चाहिए. इसके बाद आरती और क्षमा याचना करनी चाहिए.
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