National Mathematics Day 2022 Wishes: राष्ट्रीय गणित दिवस की इन WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
राष्ट्रीय गणित दिवस का मुख्य उद्देश्य गणित के महत्व को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है. इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए गणित की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इस खास अवसर पर आप इन विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस, वॉलपेपर्स को भेजकर नेशनल मैथमेटिक्स डे की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
National Mathematics Day 2022 Wishes: भारत में हर साल 22 दिसंबर को नेशनल मैथमैटिक्स डे यानी राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) मनाया जाता है. यह दिवस देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) को समर्पित है. दरअसल, साल 2012 में केंद्र सरकार ने गणित के क्षेत्र में अपना अहम योगदान देने वाले गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को सम्मान अर्पित करने के लिए उनके जन्मदिवस को नेशनल मैथमैटिक्स डे के तौर पर मनाने का फैसला किया था, जिसके बाद से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा. श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में एक तमिल ब्राह्मण के घर हुआ था. रामानुजन ने कुंभकोणम के सरकारी कॉलेज में पढ़ाई की थी. बताया जाता है कि गैर-गणितीय विषयों में दिलचस्पी न होने की वजह से वे 12वीं की परीक्षा में फेल हो गए थे.
राष्ट्रीय गणित दिवस का मुख्य उद्देश्य गणित के महत्व को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है. इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए गणित की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इस खास अवसर पर आप इन विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस, वॉलपेपर्स को भेजकर नेशनल मैथमेटिक्स डे की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- राष्ट्रीय गणित दिवस 2022
2- राष्ट्रीय गणित दिवस 2022
3- राष्ट्रीय गणित दिवस 2022
4- राष्ट्रीय गणित दिवस 2022
5- राष्ट्रीय गणित दिवस 2022
बताया जाता है कि रामानुजन ने महज 12 साल की उम्र में त्रिकोणमिति में महारथ हासिल कर ली थी. उन्होंने कई प्रमेय और कई फार्मूले इजाद किए. उनके इस कमाल से दुनिया भर के गणितज्ञ भी हैरान रह गए थे. उन्होंने सन 1916 में बैचलर इन साइंस में डिग्री हासिल की, फिर उनका चयन 1917 में लंदन की मैथमैटिकल सोसायटी में कर लिया गया.
सन 1918 में रामानुजन को कैंब्रिज फिलोसॉफिकल सोसायटी, रॉयल सोसायटी और ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज तीनों का फेलो चुना गया और उसके अगले साल वो भारत लौट आए. गौरतलब है कि महज 33 साल की उम्र में टीबी रोग से ग्रसित होने के कारण 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया था.