Makar Sankranti 2020: इस बार 15 जनवरी को क्यों और किस वाहन पर सवार होकर आ रही है मकर संक्रांति, जानें क्या होंगे फल
सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महात्म्य है. मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर उपस्थित होते हैं. चूंकि पुराणों में शनि देव को मकर राशि का स्वामी माना जाता है, इसलिए इस दिन को ‘मकर संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि महाभारत युद्ध में घायल होकर सर-शैय्या पर विराजमान भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन अपना देह त्यागा था.
Makar Sankranti 2020: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महात्म्य है. मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर उपस्थित होते हैं. चूंकि पुराणों में शनि देव को मकर राशि का स्वामी माना जाता है, इसलिए इस दिन को ‘मकर संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि महाभारत युद्ध में घायल होकर सर-शैय्या पर विराजमान भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन अपना देह त्यागा था. एक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगीरथ के साथ-साथ कपिल मुनि के आश्रम होते हुए गंगा सागर में मिली थीं. मकर संक्रांति से ही प्रकृति में भी परिवर्तन होता है. आइए जानें इस वर्ष मकर संक्रांति में विशेष क्या है...
गंगा स्नान, जप, तप, दान, श्राद्ध, तर्पण का है विशेष महत्व
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है और जब सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति अमूमन माघ कृष्णपक्ष की पंचमी के दिन पड़ता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यानी 2020 को यह पर्व 15 जनवरी को पड़ रहा है. चूंकि इसी दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर प्रयाण करता है, इसलिए कुछ जगहों पर इसे उत्तरायण भी कहा जाता है. शास्त्रानुसार दक्षिणायन को नकारात्मकता एवं उत्तरायण को साकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध एवं तर्पण जैसे धार्मिक काण्डों का विशेष महत्व होता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष यानी 2020 की मकर संक्रांति का नाम ‘महोदर’ है. बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में संक्रांति मनाई जाएगी. मकर संक्रांति के दिन शुद्ध घी एवं कंबल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकंबलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अंते मोक्षं प्राप्यति॥
जानें किस पशु पर सवार होंगे प्रस्थान करेगी संक्रांति
ज्योतिषाचार्य श्री रवींद्रनाथ पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष 2020 में 14 जनवरी की सायंकाल सूर्य 07.53 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त के बाद होता है और संक्रांति का पुण्य स्नान सूर्योदय के साथ ही किए जाने का विधान है, इसलिए पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह श्रेष्ठ रहेगा. इसीलिए इस बार 14 नहीं 15 जनवरी को मकर संक्रांति का योग बन रहा है. इस बार 14 जनवरी को संक्रांति 'गर्दभ' पर सवार होकर आ रही है. संक्रांति का उपवाहन मेष होता है. ग्रहों के अनुसार इस बार संक्रांति गर्दभ पर सवार गुलाबी वस्त्र धारण कर दक्षिण से पश्चिम दिशा की ओर प्रस्थान करेगी.
15 जनवरी को पुण्य काल
प्रातःकाल 7.19 से शाम 5.46 बजे तक
महापुण्य काल 7.19 से 9.03 बजे तक
छोटे व्यवसाय वालों के लिए इस बार की मकर संक्रांति फलदायी साबित होगी. वस्तुओं की लागत कम होगी. पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष बढ़ने की संभावना है. बारीश के अभाव से जल संकट एवं इससे उत्पन्न समस्याओं का योग बन रहा है.