Kalki Jayanti 2022 Greetings: शुभ कल्कि जयंती! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Stickers, GIFs, HD Images और Wallpapers
हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती मनाई जाती है. कलयुग में कल्कि अवतार लेने से पहले उनकी जयंती को भक्त धूमधाम से मनाते हैं. इस अवसर पर शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है.ऐसे में आप भी इन हिंदी ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को प्रियजनों संग शेयर करके उन्हें शुभ कल्कि जयंती कह सकते हैं.
Kalki Jayanti 2022 Greetings in Hindi: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कलयुग में फैले अधर्म और पाप का विनाश करके धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) कल्कि (Lord Kalki) के रूप में अवतार लेंगे. पुराणों में भी वर्णित है कि कलयुग के अंत में जगत के पालनहार श्रीहरि कल्कि के रूप में अवतार लेंगे, जो उनका अंतिम अवतार होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन मास (Sawan Maas) के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कल्कि की जयंती (Kalki Jayanti) मनाई जाती है और इस साल उनकी जयंती 3 अगस्त 2022 (बुधवार) मनाई जा रही है. आपको बता दें कि श्रीहरि का यह एकमात्र ऐसा अवतार है, जिनकी जयंती उनके जन्म से पहले मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि कलयुग में जब पाप चरम पर होगा और अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ता जाएगा, तब सृष्टि को पाप मुक्त करने और धर्म की स्थापना करने के लिए श्रीहरि, कल्कि अवतार लेंगे और कलि नामक दैत्य का संहार करेंगे.
हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती मनाई जाती है. कलयुग में कल्कि अवतार लेने से पहले उनकी जयंती को भक्त धूमधाम से मनाते हैं. इस अवसर पर शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में आप भी इन हिंदी ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को प्रियजनों संग शेयर करके उन्हें शुभ कल्कि जयंती कह सकते हैं.
1- कल्कि जयंती की शुभकामनाएं
2- कल्कि जयंती की हार्दिक बधाई
3- शुभ कल्कि जयंती
4- कल्कि जयंती 2022
5- हैप्पी कल्कि जयंती
गौरतलब है कि इस दिन सूर्योदय के बाद उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर कल्कि जयंती व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करके भगवान कल्कि की प्रतिमूर्ति को गंगाजल से स्नान करवा कर उन्हें वस्त्र पहनाते हैं और उनकी प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करते हैं. इसके बाद पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य इत्यादि अर्पित करके उनका विधि-विधान से पूजन करते हैं.