Jivitputrika Vrat 2024 Wishes: जितिया व्रत के इन हिंदी Quotes, WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photo Messages को भेजकर दें शुभकामनाएं
जितिया व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. इस अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो मैसेजेस को भेजकर जितिया व्रत की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Jivitputrika Vrat 2024 Wishes in Hindi: हिंदू पंचाग के अनुसार, हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माताएं अपने संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए जितिया का व्रत रखती हैं. जितिया व्रत (Jitiya) को जिउतिया (Jiutiya), जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) और जीमूतवाहन व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत रखा जा रहा है, जिसकी शुरुआत 24 सितंबर को नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ हो गई है. नहाय-खाय के अगले दिन महिलाएं जितिया का निर्जल व्रत करती हैं और फिर विधि-विधान से पूजन करने के बाद नवमी तिथि को इस व्रत का पारण करती हैं. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से संतानों को दीर्घायु, उत्तम आरोग्य और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
जितिया व्रत से न सिर्फ संतानों को लंबी उम्र, अच्छी सेहत और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है, बल्कि इस व्रत के प्रभाव से सभी संकटों से भी उनकी रक्षा होती है. इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. इस अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो मैसेजेस को भेजकर जितिया व्रत की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
संतानों के लिए माताओं द्वारा रखे जाने वाले व्रतों में जितिया व्रत को बहुत कठिन माना जाता है, जिसे माताएं बड़े ही श्रद्धाभाव से करती हैं. इस व्रत की प्रचलित कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार, जब द्रोणाचार्य का वध हो गया था, तब उनके बेटे अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र चला दिया था, जिसके चलते अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया था. कहा जाता है कि इसके बाद अभिमन्यु की पत्नी ने जितिया व्रत किया था और इस व्रत के प्रभाव से श्रीकृष्ण ने उनके शिशु को फिर से जीवित कर दिया, तब से इस व्रत को करने की परंपरा निभाई जा रही है.