Jaya Ekadashi 2021: जया एकादशी पर श्रीहरि की पूजा से दूर होता है पिशाच योनी का भय, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

इस बार जया एकादशी का व्रत 23 फरवरी 2021 (मंगलवार) को रखा जाएगा. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही भक्तों को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीहरि की पूजा और उनका नाम जपने से पिशाच योनी का भय नहीं रहता है.

जया एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

Jaya Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) को सभी व्रतों में सबसे उत्तम माना जाता है. एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन जो भी व्रत रखकर विधि-विधान से श्रीहरि की पूजा करता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साल की 24 एकादशियों में माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi) कहा जाता है. इस बार जया एकादशी का व्रत 23 फरवरी 2021 (मंगलवार) को रखा जाएगा. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही भक्तों को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीहरि की पूजा करने और उनका नाम जपने से पिशाच योनी का भय नहीं रहता है. चलिए जानते हैं जया एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व.

शुभ मुहूर्त

जया एकादशी- 23 फरवरी 2021 (मंगलवार)

एकादशी तिथि आरंभ- 22 फरवरी 2021 को शाम 05:16 बजे से,

एकादशी तिथि समाप्त- 23 फरवरी 2021 की शाम 06:05 बजे तक.

पारणा शुभ मुहूर्त- 24 फरवरी 2021 सुबह 06:51 बजे से सुबह 09:09 बजे तक.

पारणा की अवधि- 2 घंटे 17 मिनट. यह भी पढ़ें: Ekadashi Vrat In Year 2021: साल 2021 में कब-कब पड़ रहे हैं एकादशी व्रत, जानें भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तिथियों की पूरी लिस्ट

पूजा विधि-

जया एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने श्रीकृष्ण से एकादशी व्रतों के महत्व के बारे में पूछा था, जिसके बाद भगवान कृष्ण ने एकादशी व्रतों की महिमा को बताते हुए कहा था कि जो भी एकादशी व्रत को विधि-विधान से करता है, उसके सभी पापों का नाश होता है और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. जया एकादशी का व्रत करने से मनुष्य ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है. इसके अलावा इस व्रत के प्रभाव से भूत-पिशाच और प्रेत योनियों के भय से मुक्ति मिलती है. इस व्रत को करने वाला व्यक्ति हजार वर्ष तक स्वर्ग में वास करता है.

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