International Widows Day 2019: विधवा महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रता और उनके जीवन में खुशियों के रंग भरने का खास दिन है अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस
हर साल 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है, ताकि विधवा महिलाओं की समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके. यह महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रता और उनके जीवन में खुशियों के रंग भरने का बेहद खास दिन है.
International Widows Day 2019: जब एक महिला शादी करके ससुराल जाती है तो वो अपने भविष्य को लेकर कई सुनहरे सपने संजोती है, लेकिन जब किसी महिला का सुहाग उजड़ जाता है तो उसका पूरा जीवन निराशा और कभी न खत्म होने वाले अंधकार से भर जाता है. पति को खो देने वाली महिलाओं की जिंदगी की इतनी बेरंग हो जाती है कि उनके पास मुस्कुराने की कोई वजह ही नहीं होती है. इन महिलाओं को समाज में उपेक्षित नजरिए से देखा जाता है, ऐसे में समाज की विधवा महिलाओं (Widows) की समस्याओं से रूबरू कराने और उन्हें सामाजिक स्वतंत्रता (Social Freedom) दिलाने के मकसद से हर साल 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widows Day) मनाया जाता है.
हर साल 23 जून को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की मदद से उन महिलाओं की समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति यानी अपने पति को खो दिया है. यह दिन विधवा महिलाओं के प्रति सामाजिक अन्याय और कुरितियों के खिलाफ आवाज उठाने के साथ-साथ उनकी बेरंग जिंदगी में खुशियों के रंग भरने के लिए मनाया जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस 23 जून को मनाया जाता है. दरअसल, सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधवा महिलाओं के हालात से अवगत कराने और उन्हें विशेष पहचान दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून 2011 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की थी, इसके बाद से हर साल इस दिवस को मनाया जाने लगा.
क्यों मनाना चाहिए यह दिवस?
आज भले ही दुनिया विकास की राह में तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन आज भी विधवाओं और उनके बच्चों से दुर्व्यवहार मानव अधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन और विकास में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. आलम तो यह है कि दुनिया की लाखों विधवाओं को अब भी गरीबी, सामाजिक बहिष्कार, हिंसा, स्वास्थ्य और कानून से जुड़े भेदभावों का सामना करना पड़ रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 115 मिलियन विधवाएं गरीबी में रहने को मजबूर हैं और करीब 81 मिलियन विधवा महिलाएं शारीरिक शोषण का सामना करती हैं. आंकड़ों के अनुसार, करीब 40 मिलियन विधवा महिलाएं भारत में रहती हैं, जिनमें से 15000 विधवाएं उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन की सड़कों पर अकेले रहती हैं. यह भी पढ़ें: International Women's Day 2019: जानिए 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है वुमंस डे, कैसे हुई इसकी शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले दूसरे अंतर्राष्ट्रीय दिनों से बहुत अलग है, क्योंकि यह विधवाओं के लिए सामाजिक स्वतंत्रता का अधिकार दिलाने में मदद करने का एक अवसर प्रदान करता है. यह दिवस महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करता है और उनकी विरासत, भूमि, उत्पादक संसाधनों, पेंशन, समान वेतन, शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसरों की जानकारी प्रदान करता है.
गौरतलब है कि यह दिन विधवाओं को सशक्त बनाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है ताकि विधवा महिलाएं अपना जीवन सम्मान पूर्वक जी सकें. इसके अलावा यह विधवा महिलाओं के सामाजिक बहिष्कार, भेदभाव और सामाजिक कुरितियों के खिलाफ आवाज उठाने का भी मौका देता है.