Homi Jehangir Bhabha Birth Anniversary 2020: आज है भारत के परमाणु भौतिक वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा का जन्मदिन, जानें इनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
आज भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा का जन्मदिन है. प्रतिभाशाली भौतिक विज्ञानी दो संस्थानों के संस्थापक निदेशक थे - टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, दोनों ने अनुसंधान के क्षेत्र में अपार वृद्धि और विकास किया.
आज भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha) का जन्मदिन है. प्रतिभाशाली भौतिक विज्ञानी दो संस्थानों के संस्थापक निदेशक थे - टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, दोनों ने अनुसंधान के क्षेत्र में अपार वृद्धि और विकास किया. परमाणु भौतिक वैज्ञानिक होमी भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई में एक अमीर भव्य परिवार में हुआ था. साल 1939 में वे केवल छुट्टी मनाने के लिए भारत आए थे. द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण उन्हें भारत में रहने और नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. और उनका भारत में रुकना हमारे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ, क्योंकि यह वही थे जिन्होंने भारत में परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था. यह भी पढ़ें: National Unity Day 2020: लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस, जानें इसका महत्व
- होमी भाभा ने एलफिंस्टन कॉलेज और रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बॉम्बे से स्नातक किया. 1933 में, उन्होंने अपने पेपर द अबॉर्शन ऑफ कॉस्मिक रेडिएशन (The Absorption of Cosmic Radiation’) ’के साथ परमाणु भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, जिससे उन्हें 1934 में आइजैक न्यूटन स्टूडेंटशिप (Isaac Newton Studentship) मिली.
- होमी भाभा के पिता और चाचा चाहते थे कि वह इंजीनियर बने, इसलिए उन्होंने जमशेदपुर में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी जॉइन कर ली. हालांकि, कैम्ब्रिज जाने के बाद उनकी रुचि सैद्धांतिक भौतिकी (theoretical physics ) में स्थानांतरित हो गई और उन्होंने अपने पिता को एक पत्र में भौतिकी के लिए अपना प्यार व्यक्त किया.
- 1939 में, जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, भाभा छुट्टी के दौरान भारत में थे. युद्ध के कारण, वह कैम्ब्रिज में अपने शोध को पूरा करने के लिए वापस नहीं जा सके.
- 1948 में नेहरू ने भाभा को परमाणु कार्यक्रम के निदेशक के रूप में नियुक्त किया और उन्हें परमाणु हथियार विकसित करने का काम दिया.
- इलेक्ट्रॉनों द्वारा पॉज़िट्रॉन को बिखरने की संभावना के लिए एक अभिव्यक्ति प्राप्त करने के बाद भाभा ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त की. इस प्रक्रिया को भाभा स्केटरिंग (Bhabha Scattering) के रूप में जाना जाता है.
- जब भाभा इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम कर रहे थे, तब भारत में ऐसा कोई संस्थान नहीं था, जिसके पास न्यूक्लियर फिजिक्स, कॉस्मिक रे और हाई एनर्जी फिजिक्स में मूल काम के लिए जरूरी सुविधाएं हों.
- देश की दीर्घकालिक ऊर्जा स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए, 1950 के दशक में होमी भाभा द्वारा भारत में तीन-चरण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम तैयार किया गया था.
- तीन चरण के परमाणु कार्यक्रम के लिए, उन्होंने दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले यूरेनियम और थोरियम भंडार का उपयोग किया.
- तीन चरण कार्यक्रम भारत के सीमित यूरेनियम संसाधनों के आसपास विकसित किया गया था.
- भाभा ने इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष विज्ञान, रेडियो खगोल विज्ञान और माइक्रोबायोलॉजी में अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया.
- वे अपने काम के प्रति इतने पैशनेट थे कि वह जीवन भर कुंवारे रहे और अपना सारा समय विज्ञान को समर्पित किया.
- वे मालाबार हिल्स में मेहरानगीर नामक एक विशाल औपनिवेशिक बंगले (sprawling colonial bungalow ) में रहते थे.
- 24 जनवरी, 1996 को माउंट ब्लैंक के पास एक रहस्यमय हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. कुछ सिद्धांतों का दावा है कि भारत के परमाणु कार्यक्रम को पंगु बनाने के लिए CIA द्वारा उन्हें मार दिया गया.
होमी भाभा की मृत्यु के ठीक 14 दिन पहले, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी ताशकंद में एक रहस्यमयी मौत हुई थी. होमी भाभा को साल 1942 में एडम्स पुरस्कार, 1954 में पद्म भूषण और फैलो ऑफ रॉयल सोसाइटी से सम्मानित किया गया.