Holi Bhai Dooj 2021: होली भाई दूज कब है? जानें तिलक का शुभ मुहूर्त, विधि और इस दिन पर्व का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जिसे भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि यह दिवाली उत्सव के दौरान मनाए जाने वाले भाई दूज की तरह लोकप्रिय तो नहीं है, लेकिन इसका महत्व उससे कम भी नहीं है. इस साल होली भाई दूज 30 मार्च 2021 (मंगलवार) को मनाई जाएगी.

भाई दूज 2021 (Photo Credits: File Image)

Holi Bhai Dooj 2021: जिस तरह से पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) के आखिरी दिन भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व मनाया जाता है, ठीक उसी तरह से रंगों की होली (Colorful Holi) खेलने के बाद अगले दिन होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj) का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में भाई दूज (Bhai Dooj) का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि यह पर्व भाई-बहन के स्नेह और अटूट बंधन को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जिसे भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि यह दिवाली उत्सव के दौरान मनाए जाने वाले भाई दूज की तरह लोकप्रिय तो नहीं है, लेकिन इसका महत्व उससे कम भी नहीं है. इस साल होली भाई दूज 30 मार्च 2021 (मंगलवार) को मनाई जाएगी.

होली भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना से उनके माथे पर तिलक लगाती हैं. बदले में भाई भी अपनी बहन की जिंदगी भर रक्षा करने का वचन देता है. चलिए जानते हैं होली भाई दूज 2021 का शुभ मुहूर्त, तिलक लगाने की विधि और इसका महत्व.

शुभ मुहूर्त-

होली भाई दूज तिथि- 30 मार्च 2021 (मंगलवार)

द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 29 मार्च 2021 को रात 08:54 बजे से,

द्वितीया तिथि समाप्त- 30 मार्च 2021 को शाम 05:27 बजे तक.

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पूजन विधि-

होली भाई दूज के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान कर श्रीगणेश और श्रीहरि की पूजा करना शुभ फलदायी माना जाता है. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गोबर के दूज बनाए जाते हैं और उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन बहनें दूज से अपने भाईयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं. कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और आरती उतारकर उनकी पूजा करती हैं.

क्या है महत्व?

पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के आखिरी दिन जिस तरह से भाई दूज का त्योहार मनाकर बहनें अपने भाईयों की मंगल कामना करती हैं और उसे नर्क यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए माथे पर तिलक लगाती हैं. ठीक उसी तरह से होली के अगले दिन भी बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक करके होली भाई दूज का पर्व मनाती हैं, ताकि भाई के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो सकें. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, होली के अगले दिन भाई के माथे पर तिलक लगाने से सभी प्रकार के संकटों से उसकी रक्षा होती है.

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