Happy Navratri 2018: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन नौ स्वरूपों की आराधना, समस्त कामनाओं की होगी पूर्ति

नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म के त्योहारों में नवरात्रि का अपना एक अलग ही महत्व है. कहा जाता है इस दौरान जो कोई भी श्रद्धा और भक्ति भाव से मां दुर्गा की उपासना करता है, मां उनके मन की सारी मुराद पूरी करके उनकी झोली खुशियों से भर देती हैं.

मां दुर्गा के नौ स्वरूप (Photo Credits: Instagram, mehul_1609)

नवरात्रि यानी शक्ति स्वरुपिणी मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना का पावन पर्व. जी हां, नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म के त्योहारों में नवरात्रि का अपना एक अलग ही महत्व है. कहा जाता है इस दौरान जो कोई भी श्रद्धा और भक्ति भाव से मां दुर्गा की उपासना करता है, मां उनके मन की सारी मुराद पूरी करके उनकी झोली खुशियों से भर देती हैं. इस बार 10 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है. ऐसे में चलिए हम आपको रूबरू कराते हैं मां दुर्गा के 9 स्वरूप और उससे जुड़ी पौराणिक गाथा से.

नवरात्रि की प्रथमा से लेकर नवमी तक, मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवे दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है.

प्रथम स्वरूप- मां शैलपुत्री (Photo Credits: File Photo)

1- शैलपुत्री

शैलपुत्री को मां दुर्गा का प्रथम स्वरुप माना जाता है और वो पर्वत राज हिमालय की पुत्री हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा हिमालय और उनकी पत्नी ने कई साल तक तपस्या की थी, जिसके पश्चात मां दुर्गा ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. मां शैलपुत्री का वाहन बैल है. उनके दायें हाथ में त्रिशुल और बाएं हाथ में कमल का फूल विराजमान है. यह भी पढ़ें: Happy Navratri 2018: बेहद शुभ माने जाते हैं नवरात्रि के ये नौ रंग, जिससे प्रसन्न होती हैं मां दुर्गा

दूसरा स्वरूप- मां ब्रह्मचारिणी (Photo Credits: File photo)

2- ब्रह्मचारिणी

ब्रह्म का अर्थ है तप और ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नारद मुनि की सलाह पर माता ब्रह्मचारिणी ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. कठोर तप करने वाली माता के इस स्वरुप को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. मां दुर्गा के इस स्वरूप में दाएं हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है.

तीसरा स्वरूप- मां चंद्रघंटा (Photo Credits: File photo)

3- चंद्रघंटा

चंद्रघंटा मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप है, जिनके सिर पर अर्ध चंद्र विराजमान है. उनका स्वरूप स्वर्ण के समान कांतिमय है. मां का यह स्वरूप भले ही क्रोध से भरा हुआ है, लेकिन इसे परम शांति प्रदान करने वाला स्वरूप माना जाता है. मां के इस स्वरूप की आराधना करने से भक्तों को सुख और शांति प्राप्त होती है. उनका वाहन सिंह है और उनके दस हाथ हैं, जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं. उनके इस स्वरूप को देखकर बड़े-बड़े राक्षस भी भाग खड़े होते हैं.

चौथा स्वरूप- मां कुष्मांडा (Photo Credits: File photo)

4- कुष्मांडा

कुष्मांडा मां दुर्गा का चौथा स्वरूप है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पृथ्वी पर कुछ नहीं था और हर जगह सिर्फ अंधकार ही अंधकार था, तब माता कुष्मांडा ने सृष्टि का सृजन किया था. मान्यता है कि माता ने ही ऊर्जा का भी सृजन किया था. माता के इस स्वरूप का वाहन सिंह है और माता के आठ हाथ हैं जिसमें कमंडल, चक्र, कमल, अमृत कलश और जप माला इत्यादि सुशोभित हैं. सिंह पर सवार मां कुष्मांडा शुद्धता की देवी हैं और उनके इस रूप की उपासना करने से सभी रोग, दुख और कष्ट दूर होते हैं. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: 10 अक्टूबर से शुरू हो रही है नवरात्रि, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 

पांचवा स्वरूप- मां स्कंदमाता (Photo Credits: File photo)

5- स्कंदमाता

स्कंदमाता की आराधना मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप के तौर पर की जाती है. मान्यता है कि असुरों का विनाश और देवताओं का कल्याण करने के लिए स्कंदमाता ने भगवान शिव से विवाह किया था. बाद में  उनके पुत्र कार्तिकेय यानी स्कंद देवताओं के नेता बने. अग्नि की देवी स्कंदमाता के गोद में उनके पुत्र स्कंद बैठे हुए नजर आते हैं. सिंह की सवारी करने वाली स्कंदमाता की तीन आंखें और चार भुजाएं हैं. इनकी आराधना करने से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं.

छठा स्वरूप- मां कात्यायनी (Photo Credits: File photo)

6- कात्यायनी

कात्यायनी मां दुर्गा का छठा स्वरूप है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर अपनी शक्ति से मां दुर्गा के इस स्वरूप को प्रकट किया था. मां दुर्गा के इस स्वरूप की आराधना सबसे पहले महर्षि कात्यायना ने की थी इसलिए उनके इस स्वरूप को कात्यायनी कहा जाता है. इन्हें शुद्धता की देवी माना जाता है. माता कात्यायनी के चार हाथ हैं. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष मिलता है.

सातवां स्वरूप- मां कालरात्रि (Photo Credits: File photo)

7- कालरात्रि

कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है. कालरात्रि का अर्थ है अंधकार की रात्रि और उनका यह स्वरूप सब कुछ विनाश कर सकता है. उनका यह रूप देखने में भयानक प्रतीत होता है. उनका वाहन गधा है, उनके तीन नेत्र हैं और उनकी चार भुजाएं हैं. उनका रूप भले ही भयंकर है लेकिन उनकी आराधना करने से भक्तों को भूत, सांप, आग, बाढ़ और भयानक जानवरों के भय से मुक्ति मिलती है. यह भी पढ़ें: Happy Navratri 2018: इन मैसेजेस के जरिए अपने दोस्तों व परिवार वालों को दें नवरात्रि की शुभकामनाएं

आठवां स्वरूप- मां महागौरी (Photo Credits: File photo)

8- महागौरी

मां दुर्गा का आठवां स्वरुप है महागौरी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कठोर तक के कारण मां पार्वती का रंग सावला हो गया था, जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती पर गंगाजल डाला जिससे उनका सावला रंग चंद्रमा के समान कांतिमय और गोरा हो गया. कहा जाता है कि तब से उनकी आराधना महागौरी के नाम से की जाने लगी. बैल पर सवार महागौरी की पूजा करने से भक्तों को भ्रम से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं.

नौवां स्वरूप- मां सिद्धिदात्री (Photo Credits: File photo)
 9- सिद्धिदात्री

मां दुर्गा के नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सिद्धिदात्री की अनुकंपा से भगवान शिव को अर्धनारिश्वर का स्वरूप मिला था. माता के इस स्वरूप का वाहन सिंह है और वो कमल के आसन पर विराजमान होती हैं. मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करके उन्हें सिद्धि प्रदान करती हैं.

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