Guru Ghasidas Jayanti 2023 Wishes in Hindi: गुरु घासीदास (Guru Ghasidas) का जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायपुर (Raipur) जिले में स्थित गिरौद गांव में हुआ था. उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था, जब समाज में छुआछूत, ऊंच-नीच का भेदभाव और झूठ-कपट जैसी चीजें चरम पर थीं. ऐसे हालात में उन्होंने समाज को न सिर्फ एकजुट करने का प्रयास किया, बल्कि उन्हें एकता, भाईचारे और समरसता का संदेश भी दिया था. उन्होंने समाज में ब्राह्मणों के प्रभुत्व को नकारते हुए कई वर्णों में बांटने वाली जाति व्यवस्था का विरोध किया था. समाज के लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश देने वाले गुरु घासीदास की जयंती (Guru Ghasidas Jayanti) छत्तीसगढ़ में हर साल 18 दिसंबर को धूमधाम से मनाई जाती है. कहा जाता है कि गुरु घासीदास ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी और सारंगढ़ तहसील में बिलासपुर रोड़ मंदिर स्थित एक पेड़ के नीचे कड़ी तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जहां पर आज गुरु घासीदास पुष्प वाटिका स्थित है.
गुरु घासीदास एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने मूर्तियों की पूजा को वर्जित किया, क्योंकि उनका मानना है कि उच्च वर्ण के लोगों और मूर्ति पूजा में गहरा संबंध है. गुरु घासीदास की प्रमुख रचनाओं में उनके सात वचन सतनाम पंथ के 'सप्त सिद्धांत' के रूप में जाने जाते हैं. गुरु घासीदास जयंती के इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स और जीआईएफ ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को बधाई दे सकते हैं.
1- मनखे-मनखे एक सामान,
का संदेश देने वाले परम पूज्य,
गुरु घासीदास बाबा जी की जयंती,
पर उन्हें सादर प्रणाम.
गुरु घासीदास जयंती की बधाई
2- समाज में व्याप्त कुरीतियों को भंग कर,
आदर्श समाज की स्थापना करने वाले,
गुरु घासीदास जी छत्तीसगढ़ की,
धरा पर सदैव पूज्यनीय रहेंगे.
गुरु घासीदास जयंती की बधाई
3- समाज को एकता के सूत्र में,
पिरोने वाले गुरु घासीदास जी,
शांति, समरसता और सात्विकता के प्रतीक हैं.
गुरु घासीदास जयंती की बधाई
4- मैं बाबा गुरु घासीदास जी से,
सभी लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि,
तथा खुशहाली के लिए,
आशीर्वाद प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं.
गुरु घासीदास जयंती की बधाई
5- मनखे-मनखे एक समान,
का संदेश देने वाले करुणा स्वरूप,
गुरु घासीदास जी के जयंती पर्व पर,
समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं.
गुरु घासीदास जयंती की बधाई
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह पर गुरु घासीदास के सिद्धांतों का गहरा प्रभाव था. गुरु घासीदास ने समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त हुए ज्ञान व शक्ति का उपयोग उन्होंने मानव सेवा के लिए किया. मानव सेवा को अपना जीवन समर्पित करने वाले गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की शिक्षा दी, जिसके कारण लाखों की तादात में लोग उनके अनुयायी बन गए.