गणेशोत्सव 2018: जानिए क्या है लालबाग के राजा का इतिहास
इस मंडल की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि आज से 84 साल पहले 934 में पूर्व नगरसेव श्री कुंवरजी जेठाभाई शाह, डॉ. वी.बी कोरगांवकर और स्थानीय निवासियों के लगातार प्रयासों और समर्थन के बाद तब किया गया
मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में दो दिन बाद गणेशोत्सव की धूम मचने वाली है. मुंबई के सभी सार्जनिक मंडलों में सबसे ज्यादा किसी मंडल में धुम मचने वाली है तो वह है परेल का लालबाग राजा है. जहां पर दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ने वाली है. लालबाग के राजा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर दर्शन के लिए पहले ही दिन से करीब एक किलोमीटर दूर तक लोगों की लाईन लगती है. वही लालबाग राज के दर्शन के लिए फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन समेत कई फिल्मी सितारे भी गणेश भगवान के दर्शन के लिए आतें हैं.
इस मंडल की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि आज से 84 साल पहले 1934 में पूर्व नगरसेवक श्री कुंवरजी जेठाभाई शाह, डॉ. वी.बी कोरगांवकर और स्थानीय निवासियों के लगातार प्रयासों और समर्थन के बाद तब किया गया जब मालिक रजबअली तय्यब अली ने बाजार के निर्माण के लिए एक भूखंड देने का फैसला किया. जिसके बाद उस मंडल की स्थापना होने के बाद से यहां पर लालबाग का राजा की स्थापना होते आ रही है. ये भी पढे़: मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में मचेगी गणपति बाप्पा की धूम, इस वजह से मनाया जाता है यह त्योहार
मन्नतों का गणपति होने की वजह से यहां पर दर्शन के लिए पूरे महाराष्ट्र समेत देश-विदेशों से भी लोग बाप्पा के दर्शन करने के लिए आते हैं. दर्शन के दौरान लोग पैसे और सोने चांदी के जेवर चढ़ाते हैं वहीं देश विदेश से लोग लालाबाग राजा के मंडल के अकाउंट में पैसे भेजतें है. मंडल की माने तो हर साल चढ़ावे के रुप में करोडों रुपया आता है. ये भी पढे़: Ganesh Chaturthi 2018: जानिए गणेश भगवान के 108 नाम और उनके अर्थ
बता दें कि लालबाग राजा के नाम से प्रसिध्द गणेश भगवान लोगों के बीच 10 दिन तक रहते हैं इस दौरान लोग बाप्पा के दर पर पहुचकर खूब पूजा पाठ करते है. दस दिन के बाद बड़ें ही धूम धाम के साथ इन्हें गिरगांव पर चौपाटी विसर्जन के लिए ले जातें हैं. जिसके बाद समुद्रे में लोग यह कहते हुए विसर्जित कर देते है कि लोगों के दुखों के क्षण भर में दूर करने वाले गणेश भगवान आप इस साल जा रहें है, लेकिन आप अगले वर्ष हमारे बीच जल्दी आना.