Dhanteras 2023 Sanskrit Messages: धनतेरस की संस्कृत में दें अपनों को बधाई, शेयर करें ये WhatsApp Wishes, Quotes और Facebook Greetings
दिवाली के पहले पर्व धनतेरस के दिन लोग प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस दिन सोने-चांदी के आभूषणों के साथ-साथ धातुओं के बर्तन खरीदे जाते हैं. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. इस खास अवसर पर आप इन संस्कृत मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को संस्कृत में प्यार भरी बधाई दे सकते हैं.
Dhanteras 2023 Sanskrit Messages in Hindi: हिंदू धर्म में पांच दिनों तक मनाए जाने वाले दीपो के उत्सव दिवाली (Diwali) का विशेष महत्व बताया जाता है. इस त्योहार का साल भर लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. दिवाली उत्सव (Diwali Festival) की शुरुआत धनतेरस (Dhanteras) से हो जाती है और भाई दूज (Bhai Dooj) के साथ इसका समापन होता है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस साल 10 नवंबर 2023 को धनतेरस मनाया जा रहा है. इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की विधि-विधान से पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति, वैभव और संपन्नता आती है. इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान धन्वंतरि का अमृत मंथन के दौरान प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन धन्वंतरि जयंती (Dhanvantari Jayanti) मनाई जाती है.
दिवाली के पहले पर्व धनतेरस के दिन लोग प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस दिन सोने-चांदी के आभूषणों के साथ-साथ धातुओं के बर्तन खरीदे जाते हैं. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. इस खास अवसर पर आप इन संस्कृत मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को संस्कृत में प्यार भरी बधाई दे सकते हैं.
1-ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:।
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।।
भावार्थ: महा सुदर्शन धारण करने वाले वासुदेव भगवान श्रीहरि के स्वरूप धन्वंतरि को हम नमन करते हैं, जो हाथ में अमृत कलश लेकर, सभी भयों का नाश और रोगों का निवारण करते हैं.
2- त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप।
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।।
भावार्थ: हे तीनों लोकों के स्वामी, तीनों लोकों के नाथ, महा विष्णु के स्वरूप भगवान धन्वंतरि, जो अपने हाथों में अमृत कलश धारण करते हैं, उन नारायण के स्वरूप को हम नमन करते हैं.
3- क्षीरोदमथनोद्भूतं दिव्यगन्धानुलेपिनम्।
सुधाकलशहस्तं तं वन्दे धन्वन्तरिं हरिम्॥
भावार्थ: जिसका उद्भव समुद्र-मंथन से हुआ है, जो दिव्य गंधों से लिप्त हैं, जिनके हाथों में अमृत-कलश है, उस भगवान धन्वंतरि को नमन है.
4- सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तु ते ॥
भावार्थ: सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली हे भगवती महालक्ष्मी, हम आपको सदैव प्रणाम करते हैं.
5- अन्वेषितं च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं॥
भावार्थ: जिन्होंने निरंतर समस्त रोग दूर किए, जिन्होंने (अच्छे) आरोग्य की विधि बताई, जिन्होंने औषधियों के छुपे स्वरूप को बताया, उन धन्वंतरि भगवान को मैं प्रणाम करता हूं.
आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान जब प्रकट हुए थे, तब उनके हाथों में अमृत कलश था, इसलिए धनतेरस के दिन नए बर्तन खरीदने की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन सोना-चांदी, पीतल और तांबे के बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन खरीदी गई चीजों में कई गुना वृद्धि होती है, इसलिए इस दिन खरीददारी करना बेहद शुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन धन-ऐश्वर्य, सुख समृद्धि की कामना के अलावा अच्छे आरोग्य की कामना से भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है.