Devshayani/Ashadhi Ekadashi 2021 Greetings: देवशयनी आषाढ़ी एकादशी पर श्रीहरि के भक्तों संग शेयर करें ये WhatsApp Wishes, GIFs, HD Images और Wallpapers
देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

Devshayani/Ashadhi Ekadashi 2021 Greetings in Hindi: हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में पड़नेवाली एकादशी तिथियां जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अत्यंत प्रिय हैं. सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, लेकिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का अपना एक विशेष महत्व बताया जाता है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) और पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. इसी एकादशी से भगवान विष्णु का चार महीने के लिए गहन निद्रा काल शुरु होता है, जिसे चातुर्मास कहा जाता है. देवशयनी आषाढ़ी एकादशी से अगले चार महीनों के लिए सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं.

आज देशभर में देवशयनी यानी आषाढ़ी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. श्रीहरि के भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से अपने आराध्य का पूजन कर रहे हैं. ऐसे में आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और करीबियों को इसकी बधाई न दें ऐसा कैसे हो सकता है. इस खास अवसर पर आप श्रीहरि के भक्तों के साथ इन शानदार ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को शेयर कर सकते हैं.

1- देवशयनी आषाढ़ी एकादशी 2021

देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

2- देवशयनी आषाढ़ी एकादशी 2021

देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

3- देवशयनी आषाढ़ी एकादशी 2021

देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

4- देवशयनी आषाढ़ी एकादशी 2021

देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

5- देवशयनी आषाढ़ी एकादशी 2021

देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और उनकी समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं. इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन काल में समस्त सुखों को भोगकर मृत्यु के पश्चात वैकुंठ लोक में जाता है. इस व्रत के नियम वैसे तो दशमी तिथि से ही शुरु हो जाते हैं, फिर एकादशी तिथि पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर रात्रि जागरण किया जाता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मण को भोजन, मिष्ठान्न खिलाने और दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.