Alvida Jumma Mubarak 2022 Messages in Hindi: माह-ए-रमजान (Ramzan) में दुनिया भर के मुसलमान (Muslims) रोजे रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. वैसे तो इस्लाम धर्म के सबसे पाक महीने के हर जुमा का विशेष महत्व है, लेकिन रमजान के महीने में पड़ने वाले आखिरी जुमा यानी शुक्रवार को अलविदा जुमा (Alvida Jumma) कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि मुकद्दस रमजान महीने के तीसरे और आखिरी अशरे में की गई इबादत रोजेदारों को जहन्नुम की आग से बचाती है और इस अशरे में जो आखिरी जुम्मा आता है, उसे अलविदा जुमा या जुमा-तुल-विदा (Jumma-Tul-Wida) कहा जाता है. रमजान के आखिरी जुमे यानी शुक्रवार के दिन दुनिया भर के मुसलमान दिन भर अल्लाह की इबादत करते हैं. अलविदा जुमा आने का मतलब यह है कि अब ईद आने वाली है, क्योंकि आखिरी जुमा के बाद ईद के चांद का दीदार किया जाता है और ईद का पर्व मनाया जाता है.
रमजान महीने में आखिरी जुमा के दिन इस्लाम धर्म के लोग अल्लाह की इबादत करने के साथ-साथ अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं, क्योंकि उन्हें इस महीने रोजा रखने, तरावीह पढ़ने और खुदा की इबादत का मौका नसीब हुआ. इसके साथ ही अलविदा जुमा की मुबारकबाद दी जाती है. ऐसे में आप भी जुमा-तुल-विदा पर अपनों को ये हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स भेज सकते हैं.
1- आपके चेहरे पर हंसी सदा रहे,
मेरा हर लफ्ज आपके लिए दुआ रहे,
जिंदगी में पाओ खुशी हर कदम पर,
दूर आपसे दुनिया का हर गम सदा रहे.
अलविदा जुमा मुबारक
2- तस्वीर-ए-कायनात का अक्स है अल्लाह,
दिल को जो जगा दे वो एहसास है अल्लाह,
ऐ बंदे मोमिन तेरा दिल क्यों उदास है,
हर पल-हर लम्हा तेरे पास है अल्लाह.
अलविदा जुमा मुबारक
3- जिसका दिल खुदा के खौफ से खाली हो,
उसका घर कभी रहमत से भर नहीं सकता,
जो नसीब में है वो चलकर आएगा,
जो नसीब में नहीं है वो आकर भी चला जाएगा.
अलविदा जुमा मुबारक
4- खुशियां, इज्जत, सुकून और प्यार,
ये चार चीजें जिंदगी को खूबसूरत बनाती हैं,
अल्लाह पाक आपकी जिंदगी में,
किसी एक चीज की भी कमी न करें.
अलविदा जुमा मुबारक
5- अलविदा-अलविदा माह-ए-रमजान,
हमने जो रोजे रखे, जो इबादतें की और जो नमाजें पढ़ीं,
या अल्लाह कुबूल करना,
और हमसे जो गलतियां हुईं,
या अल्लाह उन्हें दरगुजार कर देना,
और हम सबको माफ कर देना,
हम सब की कयामत के दिन मगफिरात फरमाना.
अलविदा जुमा मुबारक
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, खुद अल्लाह तआला ने पवित्र कुरआन शरीफ में जुमा-तुल-विदा यानी अलविदा जुमा के दिन को मुसलमानों के लिए खास फरमाया है. कहा जाता है कि अलविदा जुमा की नमाज के बाद सच्चे दिल से अगर कोई जायज फरियाद की जाए तो अल्लाह अपने बंदे की फरियाद सुनते हैं और उनके गुनाहों को माफ करते हैं. यही वजह है कि अलविदा जुमा की नमाज दुनिया के हर मुसलमान के लिए बेहद खास मानी जाती है, इसलिए रोजेदार इस दिन अपना ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताते हैं.