नई दिल्ली, 2 नवंबर : सुबह का व्यायाम इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में कोई लाभ नहीं देता है, जबकि दोपहर या शाम की शारीरिक गतिविधि ब्लड शुगर को नियंत्रित कर लोगों को मधुमेह के जोखिम से बचाती है. एक महत्वपूर्ण शोध में यह बात पता चली है. यह लंबे समय से तर्क दिया जाता रहा है कि पूरे दिन शारीरिक गतिविधि का समय तय रहने से चयापचय स्वास्थ्य ठीक रहता है. हालांकि, मानव जीव विज्ञान में शारीरिक गतिविधि का समय अपेक्षाकृत अस्पष्टीकृत क्षेत्र है और शारीरिक गतिविधि के समय के संभावित लाभों के अंतर्निहित तंत्र अस्पष्ट हैं. डायबेटोलोजिया में प्रकाशित एक नए अध्ययन में अब पता चला है कि दोपहर या शाम की शारीरिक गतिविधि बेहतर रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) नियंत्रण से जुड़ी है. शोध का नेतृत्व डॉ. जेरोन वैन डेर वेल्डे और क्लिनिकल महामारी विज्ञान विभाग, लीडेन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, लीडेन, नीदरलैंड्स के सहयोगियों ने किया था.
उन्होंने शोधपत्र में उल्लेख किया, "परिणाम बताते हैं कि पूरे दिन शारीरिक गतिविधि का समय इंसुलिन संवेदनशीलता पर शारीरिक गतिविधि के लाभकारी प्रभावों के लिए प्रासंगिक है. आगे के अध्ययनों से यह आकलन करना चाहिए कि क्या टाइप 2 मधुमेह की घटना के लिए शारीरिक गतिविधि का समय वास्तव में महत्वपूर्ण है." शोध के लिए शोधकर्ताओं ने नीदरलैंड्स एपिडेमियोलॉजी ऑफ ओबेसिटी (एनईओ) अध्ययन के डेटा का उपयोग किया. प्रतिभागियों ने एक शारीरिक परीक्षण किया, जिसके दौरान उपवास और भोजन के बाद रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को मापने के लिए रक्त के नमूने लिए गए, जबकि जनसांख्यिकीय, जीवनशैली और नैदानिक जानकारी प्रश्नावली के माध्यम से प्राप्त की गई. यह भी पढ़ें : Snake In Scooty: स्कूटी के हैंडल में घुसा था खतरनाक कोबरा, शख्स ने ऐसे किया रेस्क्यू, देखें वीडियो
उन्हें एमआरआई स्कैन के लिए उपयुक्तता के लिए भी जांचा गया था और प्रक्रिया से गुजरने में सक्षम लोगों में से लगभग 35 प्रतिशत को इस तकनीक का उपयोग करके अपने जिगर की वसा सामग्री को मापने के लिए चुना गया था. परिणाम देखा गया तो सुबह की गतिविधि और दिन में समान रूप से की गई गतिविधि के बीच इंसुलिन प्रतिरोध में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था. न तो गतिहीन समय की मात्रा और न ही गतिहीन व्यवहार में विराम की संख्या का यकृत वसा सामग्री या इंसुलिन प्रतिरोध के साथ कोई अनुकूल संबंध पाया गया.
शोधकर्ताओं ने कहा, "यह हो सकता है कि हमारे अध्ययन में ब्रेक के दौरान गतिविधि की तीव्रता चयापचय प्रतिक्रियाओं का कारण बनने के लिए बहुत हल्की थी. अधिकांश दैनिक गतिविधियां हल्की तीव्रता की होती हैं और चूंकि हमने एलपीए और इंसुलिन प्रतिरोध के बीच संबंध नहीं देखा है, यह भी समझा जा सकता है ब्रेक और इंसुलिन प्रतिरोध के बीच कोई संबंध नहीं है." उन्होंने कहा, "आगे के अध्ययनों से यह आकलन करना चाहिए कि क्या टाइप 2 मधुमेह की घटना के लिए शारीरिक गतिविधि का समय वास्तव में महत्वपूर्ण है?"