मस्तिष्‍क पर भी असर कर रहा है COVID-19

कोरोना वायरस का असर केवल फेफड़ों पर नहीं बल्कि मस्तिष्‍क पर भी हो रहा है. ठीक वैसे ही जैसे ट्यूबरक्लोसिस केवल लंग्स में नहीं, बल्कि पेट या ब्रेन में भी हो सकता है. सर गंगाराम अस्पताल के चिकित्सक डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी की मानें तो ऐसा 10 प्रतिशत से कम मरीजों में देखा गया है.

कोरोना वायरस (Photo Credits: Pixabay)

कोरोना वायरस का असर केवल फेफड़ों पर नहीं बल्कि मस्तिष्‍क पर भी हो रहा है. ठीक वैसे ही जैसे ट्यूबरक्लोसिस केवल लंग्स में नहीं, बल्कि पेट या ब्रेन में भी हो सकता है. सर गंगाराम अस्पताल के चिकित्सक डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी की मानें तो ऐसा 10 प्रतिशत से कम मरीजों में देखा गया है. प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना वायरस भी ब्रेन में असर कर सकता है 90% मरीजों में पहले कोरोना संक्रमण गले में हुआ फिर लंग्स में हुआ, लेकिन यह सामान्य है. कई बार ज्यादा संक्रमण होने पर वायरस ब्रेन के अलग-अलग हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है. इससे लोगों में सूंघने की क्षमता खत्म होती है, या उन्हें स्वाद नहीं आता है. यह सब तभी होता है जब वायरस ब्रेन तक पहुंचता है. ब्रेन में क्लॉटिंग भी हो सकती है. इससे ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा भी रहता है.

क्या है इम्‍युनिटी पासपोर्ट:

कोरोना वायरस की अभी कोई वैक्सीन नहीं आयी है, ऐसे में लोगों शरीर में बन रही इम्युनिटी ही उनकी सबसे बड़े रक्षा कवच का काम कर रही है. ऐसे में इम्युनिटी पासपोर्ट की चर्चा हो रही है. डॉ. वेद ने बताया कि बेल्ज‍ियम, स्वीडन में ज्यादा लंबा लॉकडाउन नहीं किया गया, यह सोच कर कि बहुत ज्यादा लोग संक्रमित होंगे और खुद ही हर्ड इम्युनिटी बन जायेगी. अगर किसी को कोरोना हुआ और किसी में अच्छी तरह एंटीबॉडी बन गए हैं, तो उन्‍हें इम्युनिटी पासपोर्ट दिया जाता है. लेकिन अभी एंटीबॉडी को लेकर कुछ भी कहा नहीं जा सकता है कि ये कितने दिन तक शरीर में रहते हैं, इसलिए हर्ड इम्युनिटी या इम्युनिटी पासपोर्ट पर बात करना प्रामाणिक नहीं है.

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कीमोथेरेपी कैंसर के मरीजों को कोविड से बचा रही:

डॉ. वेद बताते हैं कि कोरोना में दी जाने वाली प्रमुख दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन है. यह दवा कैंसर के मरीजों को भी दी जाती है. इसी तरह कैंसर में दी जाने वाली अन्य दवाइयां भी कोरोना वायरस से लड़ सकती हैं. इसके अलावा जब लंग्स में कोरोना का संक्रमण अधिक होता है तो कई बार एंटीबायोटिक के साथ रेडियोथेरेपी दी जाती है. यह थैरेपी भी कैंसर के मरीजों को दी जाती है. अगर किसी की कीमोथैरेपी चल रही है तो उसकी फ्रीक्‍वेंसी भी बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं. लेकिन ये सभी इलाज अभी निश्चित इलाज नहीं है.

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