Bhishma Ashtami 2024: कब और क्यों मनाई जाती है भीष्म अष्टमी? जानें किसने और क्यों दिया था भीष्म पितामह को इच्छा-मृत्यु का वरदान?
भीष्म अष्टमी साल के सर्वाधिक शुभ तिथि माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी को मनाई जाती है. यह तिथि वस्तुतः भीष्म पितामह की पुण्य-तिथि है. भीष्म पितामह महाभारत के सबसे महान और यशस्वी योद्धा थे, इसीलिए उनकी पुण्य-तिथि को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है.
भीष्म अष्टमी साल के सर्वाधिक शुभ तिथि माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी को मनाई जाती है. यह तिथि वस्तुतः भीष्म पितामह की पुण्य-तिथि है. भीष्म पितामह महाभारत के सबसे महान और यशस्वी योद्धा थे, इसीलिए उनकी पुण्य-तिथि को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. भीष्म पितामह ने आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा लेते हुए जीवन पर्यंत उसका पालन किया. पिता के प्रति निष्ठा एवं समर्पण के कारण भीष्म पितामह को पिता से अपनी इच्छा अनुसार मृत्यु का समय चुनने का वरदान प्राप्त हुआ था. महाभारत में पांडवों के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए गंभीर रूप से घायल होने बाद देह त्यागने के बजाय शुभ मुहूर्त तक का इंतजार किया. महाभारत युद्ध में घायल होने के बाद इसी दिन को मृत्यु के लिए चुना और प्राण त्यागने तक बाणों की शैया पर पड़े रहे. 58 दिनों के पश्चात सूर्य के उत्तरायण होने के पश्चात युद्ध भूमि पर ही उन्होंने अंतिम सांस लिया. आइये जानें भीष्म अष्टमी 2024 का पर्व क्यों मनाया जाता है.
भीष्म पितामह ने उत्तरायण पर देह त्यागने का निर्णय क्यों लिया?
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव साल में आधे समय दक्षिण दिशा में गोचर करते हैं, जो अशुभ अवधि मानी जाती है. इसलिए सभी प्रकार के शुभ कार्यों को इस समय अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाता है. जब सूर्यदेव उत्तर दिशा में आते हैं, तब इन शुभ कार्यों का आयोजन प्रारंभ होता है. भीष्म पितामह ने इसी दिन देह त्यागने के लिए माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी को चुना था, क्योंकि उस समय सूर्यदेव उत्तर दिशा यानी उत्तरायण की प्रस्थान करने ओर जाने लगे थे. यह भी पढ़ें : Maghi Ganesh Jayanti 2024 Messages: हैप्पी माघी गणेश जयंती! प्रियजनों संग शेयर करें ये भक्तिमय GIF Greetings, WhatsApp Wishes, Quotes और Photo SMS
माघ मास अष्टमी तिथि एवं शुभ मुहूर्त
माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी प्रारंभः 08.54 AM (16 फरवरी 2024, शुक्रवार ) से
माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी समाप्तः 08.15 AM (17 फरवरी 2024, शनिवार) तक
सायंकालीन पूजा होने के कारण भीष्म अष्टमी 16 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी.
भीष्म अष्टमी 11.42 AM से 02.02 AM
क्यों मनाया जाता है भीष्म अष्टमी
भीष्म अष्टमी वस्तुतः भीष्म पितामह की मृत्यु तिथि का प्रतीक है. बताया जाता है कि भीष्म पितामह ने उत्तरायण काल (हिंदू शास्त्रों के अनुसार अत्यंत शुभ दिवस) के दौरान कुरुक्षेत्र मैदान में मरने के लिए चुना था. भीष्म अष्टमी माघ माह की अष्टमी को मनाया जाता है. इस दिन लोग भीष्म पितामह के लिए एकोदिष्ट श्राद्ध करते हें. कहते हैं आज के दिन भीष्म पितामह की याद में जो लोग कुश, तिल और जल के साथ श्राद्ध, तर्पण आदि करते हैं उनके पापों का नाश होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है. ऐसी भी मान्यता है कि जिनके पिता की मृत्यु हो चुकी होती है, इस दिन श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को संतुष्टि मिलती है.