Bhai Dooj 2018: बहनें इस विधि से करें अपने भाई का तिलक, जानें सबसे पहले किसने मनाया था भाई दूज का यह पर्व
भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज रक्षा बंधन की तरह ही होता है, लेकिन इस दिन बहनें अपने भाई को राखी नहीं बांधती, बल्कि तिलक करके उनकी आरती उतारती हैं. इस दिन बहनें भाई की लंबी आयु और उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना का व्रत रखती हैं.
Bhai Dooj 2018: धनतेरस से लेकर भाई दूज तक दिवाली का पर्व कुल पांच दिनों तक मनाया जाता है. इस पर्व के आखिरी दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक होता है. भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज रक्षा बंधन की तरह ही होता है, लेकिन इस दिन बहनें अपने भाई को राखी नहीं बांधती, बल्कि तिलक करके उनकी आरती उतारती हैं. इस दिन बहनें भाई की लंबी आयु और उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना का व्रत रखती हैं. इस पर्व को भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया भी कहा जाता है
दरअसल, हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पावन पर्व से एक बेहद दिलचस्प पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और कहा जाता है कि इस दिन बहनों को विधि-विधान के साथ अपने भाई के माथे पर तिलक करना चाहिए. चलिए जानते हैं तिलक की विधि और इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता.
इस विधि से करें तिलक
- भाई दूज के दिन सभी बहनें सुबह स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करें.
- इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें.
- फिर चावल के आटे से एक चौक बनाएं, फिर इस चौक पर अपने भाई को बिठाएं.
- अब दीपक जलाएं व भाई दूज की कथा सुनें, फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं, कलाई में कलावा बांधे और उसे मिठाई खिलाएं. साथ ही भाई को नारियल दें.
- इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दे. इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है.
- फिर शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीए का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें. यह भी पढ़ें: Bhai Dooj 2018: बहन-भाई के स्नेह का पावन पर्व है भाई दूज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और पौराणिक मान्यताएं
भाई दूज पूजन का शुभ मुहूर्त
सुबह- 06.39 से 10.43 बजे तक.
दोपहर- 12.04 से 01.26 बजे तक.
शाम- 04.09 से 05.30 बजे तक.
रात- 08.47 से 10.26 बजे तक.
भाई दूज की पौराणिक कथा-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नौ ग्रहों के राजा सूर्य नारायण के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना के बीच बड़ा ही स्नेह था. यमुना के विवाह के बाद भी भाई-बहन के बीच स्नेह कम नहीं हुआ. कहा जाता है कि विवाह के पश्चात यमुना अपने भाई यमराज से बार-बार अपने घर आने का निवेदन करती थीं, लेकिन यमराज हर बार व्यस्तता के कारण बहन के घर नहीं जा पाते थे. एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना ने अपने घर भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया और इस बार उन्हें अपना कहा मानने के लिए वचनबद्ध कर दिया.
इस बार यमराज ने बहन यमुना का आग्रह स्वीकार करते हुए उसके घर जाने का निश्चय किया और जब वे उसके घर पहुंचे तो यमुना की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा. उस दिन बहन ने स्नान-ध्यान करके भाई के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए और अपने भाई को खिलाया. बहन के आतिथ्य-सत्कार से खुश होकर यमराज ने यमुना से वर मांगने के लिए कहा. यह भी पढ़ें: Bhai Dooj Wishes 2018: इन प्यारे Whatsapp और Facebook मैसेजेस के जरिए दें अपने भाई-बहनों को भाईदूज की शुभकामनाएं
भाई के इस वचन को सुनकर यमुना ने कहा कि आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय अर्थात मृत्यु का भय न रहे. बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया. मान्यता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है.