Amalaki Ekadashi 2023: 3 दिव्य योगों में करें आमलकी एकादशी पर श्रीहरि एवं शिवजी की पूजा! होगी हर मनोकामना पूरी!
सनातन धर्म में सभी 24 एकादशियों का विशेष महात्म्य वर्णित है, लेकिन फाल्गुनी मास की आमलकी एकादशी अन्य एकादशियों से ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इस एकादशी का संबंध त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) से है.
सनातन धर्म में सभी 24 एकादशियों का विशेष महात्म्य वर्णित है, लेकिन फाल्गुनी मास की आमलकी एकादशी अन्य एकादशियों से ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इस एकादशी का संबंध त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) से है. इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं, किंवदंति है कि इसी एकादशी के दिन भगवान शिव विवाहोपरांत देवी पार्वती का गौना करवाकर अपनी प्रिय नगरी काशी (वाराणसी) लेकर आये थे, और काशी वालों ने उनका अबीर और गुलाल से भव्य स्वागत किया था. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव, देवी पार्वती, एवं विष्णुजी की पूजा-अनुष्ठान करने से जातक का जीवन खुशियों से भर जाता है और उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस वर्ष 3 मार्च 2023, शुक्रवार को आमलकी एकादशी मनाई जायेगी.
आमलकी एकादशी पूजा-विधि
इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीहरि के साथ भगवान शिव एवं देवी पार्वती का ध्यान करे. क्योंकि इसी दिन रंगभरी एकादशी भी पड़ रही है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव देवी पार्वती का गौना करवाकर काशी आये थे. इस दिन घर के मंदिर में श्रीहरि को धूप-दीप प्रज्वलित कर तुलसी, आंवला रोली, पुष्प, फल, मिठाई अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें. यह भी पढ़ें : Lathmar Holi 2023: आज बरसेगी बरसाना में लट्ठमार होली! जानें इसका इतिहास, महत्व और बरसाना के बारे में विस्तार से!
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
इसके बाद आमलकी एकादशी की कथा सुनें, और अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें. अगले दिन शुभ मुहुर्त में पारण करें. बहुत सारे लोग इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भी भगवान विष्णु एवं शिवजी की पूजा करते हैं. क्योंकि मान्यता है कि आंवले के पेड़ पर भगवान शिव एवं श्रीहरि वास करते हैं.
आमलकी एकादशी तिथि एवं मुहूर्त
एकादशी प्रारंभः 06.39 PM (02 मार्च, 2023, गुरुवार) से
एकादशी समाप्तः 09.11 PM (03 मार्च, 2023, शुक्रवार) तक
पारण कालः 06.44 AM से 09.03 AM तक
इन शुभ योगों में मनाई जायी आमलकी एकादशी 2023
इस वर्ष आमलकी एकादशी पर तीन महान योगों का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य और शोभन योग एक साथ पड़ रहे हैं. सौभाग्य योग अपने नाम के सौभाग्यदाय़क फल देता है. जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से हर कार्य में अपेक्षित सफलता प्राप्त होती है.
सौभाग्य योगः 05.51 PM (02 मार्च 2023) से शाम 06.45 PM (03 मार्च 2023) तक
शोभन योगः 06.45 PM (03 मार्च 2023) PM से 07.37 PM (04 मार्च 2023) तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 06.47 AM से 03.43 PM तक (03 मार्च 2023)
आमलकी एकादशी कथा
सृष्टि के सृजन के लिए श्रीहरि (विष्णु) की नाभि से ब्रह्माजी उत्पन्न हुए. एक दिन ब्रह्माजी को उत्कंठा हुई कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है? इस प्रश्न के जवाब के लिए उन्होंने श्रीहरि की कठोर तपस्या की. अंततः श्रीहरि तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी को दर्शन दिया. कहते हैं कि साक्षात श्रीहरि को देखकर उनकी आंखों में आंसू बह निकले. जहां उनका आंसू गिरा, वहीं पर आंवले का पेड़ उत्पन्न हो गया. श्रीहरि ने बताया कि यह पेड़ आपकी आंसु से पैदा हुआ है. यह पेड़ और इसका फल मुझे हमेशा प्रिय रहेगा. जो भी जातक एकादशी के दिन इस पेड़ के नीचे बैठकर मेरी पूजा करेगा, उसके सारे पाप मिट जायेंगे, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी, लेकिन ये फल तभी प्राप्त होंगे, जब जातक आमलकी एकादशी व्रत की कथा सुनेगा.