Himachal Elections- 2022: मैदान से लेकर पहाड़ तक मुख्यमंत्री योगी की धूम, हिमाचल चुनाव में की 16 जनसभाएं
यूपी के विधानसभा चुनाव में बुलडोजर बाबा के नाम से मशहूर हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता अब मैदान के अलावा पहाड़ों में भी देखने को मिली है. इसी कारण उन्हें हिमाचल के चुनाव में रिवाज बदलने के लिए मोर्चे पर लगाया गया है.
लखनऊ, 11 नवंबर : यूपी के विधानसभा चुनाव में बुलडोजर बाबा के नाम से मशहूर हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता अब मैदान के अलावा पहाड़ों में भी देखने को मिली है. इसी कारण उन्हें हिमाचल के चुनाव में रिवाज बदलने के लिए मोर्चे पर लगाया गया है. योगी ने पांच दिन में 16 जनसभाएं कर भाजपा के पक्ष में रुख मोड़ने का प्रयास किया है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम चुका है. 12 नवंबर को 68 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है और 8 नवंबर को ताजपोशी. इस बार के चुनाव में भाजपा नई इबारत लिखने का मन बना चुकी है. यहां के रिवाज को बदलने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने मोर्चा लगाया.
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार 5 दिनों में 8 जिलों की 16 विधानसभा में उनकी रैली हुई. सबसे अधिक मंडी जनपद में 4, कांगड़ा में 3, कुल्लू, सोलन, ऊना में दो-दो तथा हमीरपुर, शिमला, बिलासपुर जनपद के एक-एक विधानसभा में योगी आदित्यनाथ ने रैली की. मात्र 12 जिले और 68 विधानसभा क्षेत्र वाले हिमाचल प्रदेश में अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पांच दिनों में आठ जिलों में 16 चुनावी सभाओं को संबोधित करना उनकी लोकप्रियता का भी प्रमाण है. यह भी पढ़ें : आईओए के मसौदा अपनाने से जुड़ी याचिका पर सात दिसंबर को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय
योगी आदित्यनाथ की मांग हिमाचल में इस कदर रही कि देव दीपावली के दिन भी उन्होंने रैली की. योगी जी की लगातार दो दिन रैली हुई. 7 नवंबर को उन्होंने हरोली, दारंग व दून विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित किया. वहां से वे शाम को लखनऊ लौट आए और अगले दिन फिर 8 नवंबर को पालमपुर, आनी व ठियोग में पहुंचकर भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में वोट मांगा. 2 नवंबर से 10 नवंबर तक वे 5 दिन हिमाचल प्रदेश पहुंचे.
योगी आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. यहां की आबादी करीब 25 करोड़ है. यह दुनिया के कई बड़े देशों की आबादी के बराबर है. इस लिहाज से उनकी अपनी व्यस्तताएं हैं. यही वजह है कि हिमाचल के चुनावों में उन्होंने शुरू में एक दिन का समय दिया था, पर प्रत्याशियों की मांग इतनी थी कि उन्हें कुल 5 दिन का समय देना पड़ा. एक तरह से उन्होंने हिमाचल को मथ डाला. उन्होंने किन्नौर, चंबा, लाहौल स्पीति और सिरमौर को छोड़ हर जिले में चुनावी सभाएं कीं.