तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक ने भूख हड़ताल खत्म की

राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल में बंद सजायाफ्ता कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. महानिदेशक (कारागार) संदीप गोयल ने आईएएनएस को बताया, "उन्होंने (यासीन मलिक) ने कल अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी.

Yasin Malik

नई दिल्ली, 2 अगस्त : राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल में बंद सजायाफ्ता कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. महानिदेशक (कारागार) संदीप गोयल ने आईएएनएस को बताया, "उन्होंने (यासीन मलिक) ने कल अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी. जेल में बंद अलगाववादी नेता, जो इस समय तिहाड़ जेल की जेल नंबर 7 में बंद है, 22 जुलाई को भूख हड़ताल पर चला गया था. जब उसकी भूख हड़ताल के पीछे का कारण पूछा गया, तो अधिकारी ने कोई विवरण देने से परहेज किया, हालांकि, जेल सूत्रों ने कहा कि मलिक उन एजेंसियों का विरोध कर रहा था जो उसके मामलों की जांच कर रही हैं.

सूत्रों ने कहा, "मलिक ने आरोप लगाया कि उसके मामले की ठीक से जांच नहीं हो रही है, इसलिए वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गया, लेकिन आश्वासन के बाद कि उसका अनुरोध वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दिया गया है, उसने अभी भूख हड़ताल को समाप्त कर दिया." 26 जुलाई को भूख हड़ताल के कारण तबीयत बिगड़ने के बाद मलिक को जेल अधिकारियों ने अस्पताल में भर्ती कराया था. दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती रहने के चार दिन बाद 29 जुलाई को उसे छुट्टी दे दी गई. विशेष रूप से, मलिक को जैश-ए-मोहम्मद द्वारा फरवरी 2019 के आतंकी हमले के तुरंत बाद गिरफ्तार किया गया था. वह दो साल से अधिक समय से दिल्ली की तिहाड़ जेल में है. यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री, अन्य भाजपा नेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ तस्वीर पर तिरंगा लगाया

लोकसभा चुनाव से पहले 14 फरवरी, 2019 को एक बम विस्फोट में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में आई. कुछ ही दिनों में मलिक को उसके श्रीनगर स्थित आवास से उठा लिया गया. जमात-ए-इस्लामी के साथ उसके जेकेएलएफ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. मलिक को 2017 के टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया था और 25 मई को दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसमें उसने सभी आरोपों को स्वीकार किया था.

हाल ही में, 15 जुलाई को, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद ने तीन दशक पहले यासीन मलिक को अपने अपहर्ता के रूप में पहचाना. रुबैया सईद का 1989 में अपहरण कर लिया गया था और उसकी रिहाई का प्रबंधन जेल में बंद चार आतंकवादी कमांडरों की अदला-बदली करके किया गया था, जब उसके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद वी.पी. सिंह सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री थे. अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध रुबैया सईद, जम्मू में सीबीआई अदालत के समक्ष पेश हुई और मलिक और तीन अन्य आरोपियों को उसके अपहर्ताओं के रूप में पहचाना.

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