वर्ल्ड रिकॉर्ड! भारतीय युवक ने बनाई दुनिया की सबसे छोटी वॉशिंग मशीन, 1.5 इंच है इसकी साइज
भारतीय इंजीनियर सेबिन साजी ने दुनिया की सबसे छोटी वॉशिंग मशीन बनाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनाई है. यह माइक्रो-साइज़ मशीन सिर्फ 1.28x1.32x1.52 इंच की है और पूरी तरह से कार्यशील है, जिसमें वॉश, रिन्स, और स्पिन का पूरा चक्र चलता है. उनकी इस अनोखी क्रिएशन ने मिनिएचर इंजीनियरिंग में नई संभावनाएं दिखाईं.
भारत के सेबिन साजी ने अपनी अनोखी इंजीनियरिंग प्रतिभा से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. उन्होंने ऐसी चीज का आविष्कार किया है, जिसके बारे में कोई तकनीकी विशेषज्ञ भी सोच नहीं सकता था— दुनिया की सबसे छोटी वॉशिंग मशीन. यह मशीन केवल 1.28 इंच x 1.32 इंच x 1.52 इंच आकार की है, यानी यह 90 के दशक के लोकप्रिय खिलौने से भी छोटी है. इस अनोखे आविष्कार के कारण सेबिन का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है.
कैसे काम करती है यह नन्हीं वॉशिंग मशीन?
भले ही यह वॉशिंग मशीन आकार में बेहद छोटी है, लेकिन इसका काम करने का तरीका एक सामान्य वॉशिंग मशीन जैसा ही है. यह धोना, रिंस करना और स्पिन करना— तीनों काम पूरी तरह से करती है. हालांकि, यह मशीन केवल बहुत छोटे कपड़े या कपड़े के टुकड़ों के लिए ही उपयोगी है.
रिकॉर्ड बनाने के लिए कैसे तैयार की गई मशीन?
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, सेबिन को इस रिकॉर्ड के लिए न केवल मशीन को तैयार करना था, बल्कि यह भी साबित करना था कि यह एक पूरी वॉशिंग साइकिल को सफलतापूर्वक चला सके. मशीन की सटीकता की जांच के लिए डिजिटल कैलिपर्स का इस्तेमाल किया गया, ताकि इसका आकार तय मापदंडों के अनुरूप हो.
एक वीडियो में सेबिन साजी को यह मशीन चलाते हुए दिखाया गया है, जिसमें वे थोड़ा-सा डिटर्जेंट पाउडर डालते हैं, पानी भरते हैं और फिर मशीन का ढक्कन बंद करके इसे चालू करते हैं. जब मशीन ने सफलतापूर्वक काम किया, तो इसे देखने के लिए मौजूद भीड़ ने जोरदार तालियों के साथ उनकी सराहना की.
भारत बना मिनिएचर इंजीनियरिंग का केंद्र
हालांकि यह नन्हीं वॉशिंग मशीन आम उपयोग के लिए व्यावहारिक नहीं है, लेकिन इसने मिनिएचर इंजीनियरिंग की अनंत संभावनाओं को उजागर कर दिया है. इससे पहले, दुनिया का सबसे छोटा वैक्यूम क्लीनर भी भारत में बनाया गया था, जिसका आकार केवल 0.25 इंच था.
सेबिन साजी का यह आविष्कार केवल तकनीकी विशेषज्ञता का प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे नई सोच और नवाचार से भारत वैश्विक स्तर पर अपना परचम लहरा रहा है. चाहे यह मशीन रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए उपयुक्त न हो, लेकिन इसने यह सिद्ध कर दिया है कि इंजीनियरिंग में सटीकता और रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती.