कौन हैं नवीन रामगुलाम, जिन्हें दी मोदी ने पीएम बनने की बधाई
मॉरिशस के चुनावों में बड़ी जीत हासिल कर भारतीय मूल के नवीन रामगुलाम तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं.
मॉरिशस के चुनावों में बड़ी जीत हासिल कर भारतीय मूल के नवीन रामगुलाम तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. तीन दशक से ज्यादा से मॉरिशस की राजनीति में सक्रिय रामगुलाम कई विवादों से भी घिरे रहे हैं.77 साल के रामगुलाम को चुनावों में जीत की बधाई देते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, "मैंने अपने दोस्त डॉक्टर रामगुलाम से दिली बातचीत की और उन्हें उनकी ऐतिहासिक चुनावी जीत पर बधाई दी...मुझे आशा है कि हम हमारी खास और अनूठी साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए करीब से साथ मिल कर काम करेंगे."
नवीन रामगुलाम लंबे समय से मॉरिशस की लेबर पार्टी के नेता हैं और इससे पहले भी दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. पहली बार 1995 से 2000 तक और दूसरी बार 2005 से 2014 तक. वे उस परिवार के सदस्य हैं जिसका 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से मॉरिशस की राजनीति पर प्रभुत्व रहा है.
राजनीति से नहीं की थी शुरुआत
उनके पिता शिवसागर रामगुलाम ने मॉरिशस के आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया था और उन्हें देश के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. वो देश के पहले प्रधानमंत्री थे और इस पद पर वो 1982 तक रहे. उनके बेटे नवीन रामगुलाम शुरू में राजनीति में नहीं थे बल्कि एक डॉक्टर थे.
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वो 1970 के दशक में डॉक्टर बने और अपने देश के आलावा आइसलैंड और ब्रिटेन में भी काम किया. उस दौरान 1978 में उन्हें ब्रिटेन में शराब पी कर गाड़ी चलाने के लिए गिरफ्तार किया था. मॉरिशस की मीडिया में ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय के हवाले से छपी खबरों के मुताबिक उन्हें अपना जुर्म कबूला भी था और उन पर जुर्माना लगा था.
1990 के दशक में उन्होंने ब्रिटेन में ही वकालत शुरू कर दी और उसके बाद अपना राजनीतिक करियर भी शुरू किया. वो जल्द ही मॉरिशस में लेबर पार्टी के नेता बन गए. दो बार प्रधानमंत्री रहने के बाद 2014 और 2019 में उन्हें दो बार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा.
कई आरोपों का सामना
2019 में वो प्राविंद जगनाथ से हारे और ताजा चुनावों में जगनाथ को हरा कर सत्ता में फिर से वापसी की. 2014 में वो जगनाथ के पिता अनिरुद्ध जगनाथ से हारे थे और उसके दो महीने बाद उन्हें कई आरोपों में गिरफ्तार कर लिया था. इनमें न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के षड़यंत्र और धन शोधन के आरोप शामिल थे, लेकिन उनके खिलाफ आरोप कभी साबित नहीं हो पाए.
उन्होंने इन आरोपों को "बदले की राजनीति" बता कर उनका खंडन किया है. इस बार की जीत से उनके 10 साल के राजनीतिक वनवास का अंत हो गया. अपने चुनावी अभियान के दौरान उन्होंने आरोप लगाए थे कि जिस मॉरिशस को कभी अफ्रीका के सबसे स्थिर और सबसे धनी लोकतांत्रिक देशों में से एक माना जाता था उस मॉरिशस पर "माफियोसी" के एक समूह का राज हो गया है.
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उन्होंने बदलाव का वादा किया था और महंगाई का संकट और राजनीतिक-आर्थिक अस्थिरता से चिंतित मतदाताओं को उनकी बातें भा गईं. उनकी जीत पर देश के मुख्य अखबारों में से एक ल'एक्सप्रेस ने एक संपादकीय में लिखा, "नवीन रामगुलाम की वापसी एक राजनीतिक जीत से कहीं ज्यादा है: यह दृढ़ता का एक सबक है...वो वापस आ कर एक बिखरे हुए देश को साथ लाएंगे और सुधार लाएंगे."
उनके परिवार को मॉरिशस के अधिकांश परिवारों की तरह भारतीय मूल का माना जाता है. उनके पूर्वज 1800 के दशकों में मजदूरी करने बिहार के भोजपुर से मॉरिशस चले गए थे.
सीके/आरपी (एएफपी)