West Bengal Election Results 2021: पश्चिम बंगाल में फिर चला ममता बनर्जी का जादू, जानें- उनसे जुड़ी खास बातें
बता दें कि पश्चिम बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट कहे जाने वाली नंदीग्राम में सीएम ममता बनर्जी ने जीत कर ली. बेहद रोमांचक मुकाबले में ममता बनर्जी ने 1,200 वोटों से बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी को पटखनी दी. यहां मुकाबला दो पुराने सहयोगियों के बीच था.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एक बार फिर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अपना जादू दिखाया. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. उन्हें लोकप्रिय रूप से दीदी के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है बड़ी बहन. दीदी ने बंगाल में कमल को खिलने नहीं दिया. दीदी के रहते बंगाल में मोदी मैजिक फेल हो गया. 19 मई 2016 कोवह लगातार दो बार जीतने वाली एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बनीं. Nandigram Election Results 2021: नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी ने 1200 वोटों से जीत दर्ज की
बता दें कि पश्चिम बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट कहे जाने वाली नंदीग्राम में सीएम ममता बनर्जी ने जीत कर ली. बेहद रोमांचक मुकाबले में ममता बनर्जी ने 1,200 वोटों से बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी को पटखनी दी. यहां मुकाबला दो पुराने सहयोगियों के बीच था. सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दी लेकिन जनता ने ममता बनर्जी पर भरोसा जताया. 66 साल की ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
कौन है ममता बनर्जी
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. उनका जन्म कोलकाता में एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ. कॉलेज से ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. ममता ने 1984 में जाधवपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतकर वे अपनी युवावस्था में कांग्रेस में शामिल हो गईं, उसी सीट को 1989 में उन्होंने खो दिया था और 1991 में फिर से जीत हासिल की। 2009 के आम चुनावों तक उन्होंने सीट को बरकरार रखा. उन्होंने 1997 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और दो बार रेल मंत्री बनीं. एनडीए और यूपीए दोनों के साथ गठजोड़ के बाद नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलनों के दौरान बनर्जी की प्रमुखता और भी बढ़ गई. अंत में, वे 2011 में और 2016 में भी अधिक बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री चुनी गईं.
रोचक तथ्य
ममता बनर्जी के बारे में कुछ रोचक तथ्य जिसके बारे में शायद ही आपको पता होगा. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. इन्होंने इतिहास में ऑनर्स डिग्री, इस्लामी इतिहास में मास्टर डिग्री, साथ ही साथ शिक्षा और कानून में भी डिग्री प्राप्त की है. वे कविताएं भी लिखती हैं और उन्होंने लगभग 300 पेंटिंग बेची है. 2018 मे उन्होंने दुर्गा पूजा पर आधारित अपने एलबम ' रौद्रर छाया ' केे लिए सात गीत कंपोज किए हैं.
ममता बनर्जी का राजनीतिक करियर
ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने अपना करियर कांग्रेस से शुरू किया था. कांग्रेस से सियासी सफर की शुरुआत करने वाली ममता की गिनती कभी कांग्रेस में राजीव गांधी के भरोसेमंद नेताओं में होती थी. कुछ समय बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से दूरियां ऐसी बढ़ी कि ममता ने अपनी अलग पार्टी का गठन कर लिया. साल 1998 में ममता ने अपने राजनीतिक जीवन का बड़ा फैसला लिया और कांग्रेस से अलग हो गईं. कांग्रेस से अलग होने के बाद लोगों ने ममता को बहुत बुरा भला भी कहा पर ममता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. ममता ने अपनी अलग पार्टी का गठन किया. इस पार्टी का नाम उन्होंने तृणमूल कांग्रेस रखा. पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे से लड़ाई के बाद ममता ने पार्टी को जन आंदोलन से खड़ा किया.
राजनीतिक घटनाक्रम
2006: कोलकाता नगर निगम चुनाव हारने के बाद, ममता ने अपनी पार्टी पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया.
2009: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, वे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में शामिल हो गई और जीत हासिल की. ममता ने कोलकाता दक्षिणी से लगातार पांचवीं जीत दर्ज की और उन्हें रेल मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया. रेलवे मंत्री के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल था.
2011: पश्चिम बंगाल की 8वीं मुख्यमंत्री बनीं क्योंकि टीएमसी और कांग्रेस गठबंधन ने 294 सीटों में से 227 पर जीत हासिल की, जिससे राज्य में 34 वर्षीय वाम मोर्चा शासन शांत हो गया.
2012: ममता ने यूपीए से समर्थन वापस ले लिया.
2016: दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं. इस बार टीएमसी ने अकेले ही वामपंथी कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ 211 सीटों पर जीत हासिल की.
ममता बनर्जी के व्यक्तित्व जीवन की बात करें तो सादगी हमेशा उनके जीवन का हिस्सा रही है. चाहे वह सांसद रही हों या केंद्र में मंत्री या फिर बंगाल की मुख्यमंत्री, उनके पहनावे या रहन-सहन में कोई फर्क नहीं आया. सफेद सूती साड़ी और हवाई चप्पल से आज भी उनका नाता बरकरार है. उनकी पहचान हमेशा जमीन से जुड़ी एक नेता के तौर पर रही है. पश्चिम बंगाल की जनता ममता पर बहुत भरोसा करती है.