जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बदले बाबुल सुप्रियो के सुर, कहा- सांसद पद पर बना रहूंगा, लेकिन राजनीति से रहूंगा दूर

राजनीति से संन्यास की घोषणा के बाद बाबुल सुप्रियो (BJP MP Babul Supriyo) भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, सांसद एक संवैधानिक पद है. वे सांसद बने रहेंगे लेकिन राजनीति नहीं करेंगे.

बाबुल सुप्रियो (Photo Credits: IANS)

पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो (West Bengal Asansol BJP MP Babul Supriyo) राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर चुके है. राजनीति को अलविदा कहने के बाद बाबुल सुप्रियो ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) से मुलाकात की और नड्डा से मुलाकात के बाद सुप्रियो के सुर बदल गए.

बीजेपी चीफ जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बाबुल सुप्रियो ने कहा कि, सांसद एक संवैधानिक पद है. वे सांसद बने रहेंगे लेकिन राजनीति नहीं करेंगे. इसके साथ ही बाबुल सुप्रियो ने यह भी कहा कि वे किसी भी राजनीतिक दल को ज्वाइन नहीं करेंगे लेकिन सामाजिक गतिविधियों और सामजिक कार्य करना जारी रखेंगे.

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मीडिया से बातचीत में बाबुल सुप्रियो ने कहा, “मैं आसनसोल, पश्चिम बंगाल में संवैधानिक रूप से (सांसद के रूप में) काम करना जारी रखूंगा. मैं किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा. मैं दिल्ली में सांसद का बंगला खाली कर दूंगा और सुरक्षाकर्मियों को जल्द ही उनकी ड्यूटी से मुक्त कर दूंगा.”

गौरतलब है कि बीते दिनों बाबुल सुप्रियो ने सोशल पर एक पोस्ट शेयर कर कहा था कि वे राजनीति छोड़ रहे हैं और सांसद पद से इस्तीफा दे रहे हैं. दो दिन पहले ही अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बाबुल सुप्रियो ने घोषणा की थी कि वो राजनीति छोड़ रहे हैं. लेकिन बीजेपी चीफ जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि वे सांसद के रूप में कार्य करते रहेंगे लेकिन राजनीति नहीं करेंगे.

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, केंद्र मे मंत्री पद जाने और पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेतृत्व से पटरी नहीं खाने के चलते उन्होंने राजनीति छोड़ने का संकेत दिया था. बता दें कि आसनसोल लोकसभा सीट से सांसद बाबुल सुप्रियो ने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले कार्यकाल में केन्द्रीय राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में कई विभागों को संभाला था लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था.

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