Uttarakhand: भारतीय प्लेट प्रति वर्ष 2 सेंटीमीटर उत्तर की ओर खिसक रही है, जिससे भूकंप के लिए ऊर्जा पैदा हो रही है- रिपोर्ट

हरिद्वार, भारतीय प्लेट प्रति वर्ष 2 सेंटीमीटर उत्तर की ओर खिसक रही है, जिससे भूकंप के लिए ऊर्जा पैदा हो रही है. यह हिमालयी क्षेत्र में अधिक बार होता है, क्योंकि यह यूरेशियन प्लेटों से टकराता है. भूकंपीय तरंगों और भूकंप पर, एमएल शर्मा, भूकंप इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की ने कहा...

ML Sharma, Dept of Earthquake Engineering (Photo: ANI)

उत्तराखंड, 23 मार्च: हरिद्वार, भारतीय प्लेट प्रति वर्ष 2 सेंटीमीटर उत्तर की ओर खिसक रही है, जिससे भूकंप के लिए ऊर्जा पैदा हो रही है. यह हिमालयी क्षेत्र में अधिक बार होता है, क्योंकि यह यूरेशियन प्लेटों से टकराता है. भूकंपीय तरंगों और भूकंप पर, एमएल शर्मा, भूकंप इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की ने कहा. भारतीय प्लेट, पूर्वी गोलार्ध में भूमध्य रेखा पर फैली एक छोटी टेक्टोनिक प्लेट है, जो सालाना लगभग पांच सेंटीमीटर आगे बढ़ रही है, जिससे हिमालय में तनाव बढ़ रहा है. हिमालय के साथ तनाव का संचय निकट भविष्य में बड़ी भूकंपीय घटनाओं, या भूकंपों की संभावना को बढ़ा रहा है. यह भी पढ़ें: Earthquake in Manipur: दिल्ली के बाद अब मणिपुर में भूकंप के झटके, 3.8 की तीव्रता से हिली धरती

हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पृथ्वी की सतह में विभिन्न प्लेटें हैं जो लगातार गति में हैं. चूंकि भारतीय प्लेट हर साल लगभग पांच सेंटीमीटर आगे बढ़ रही है, इसके परिणामस्वरूप हिमालय पर तनाव का जमाव हो गया है, और बड़े भूकंपों की संभावना बढ़ रही है. उत्तराखंड में 18 सिस्मोग्राफ स्टेशनों का मजबूत नेटवर्क है. उन्होंने समझाया कि हिमाचल और नेपाल के पश्चिमी भाग और उत्तराखंड के बीच भूकंपीय अंतर के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र भूकंप के प्रति संवेदनशील है. यहां भूकंप कभी भी आ सकते हैं.

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देश में भूकंप गतिविधि की निगरानी के लिए जिम्मेदार भारत सरकार की प्रतिक्रिया एजेंसी नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने कहा कि 3.6 तीव्रता का भूकंप हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से 56 किलोमीटर उत्तर में सोमवार, 21 फरवरी 2023 को रात 10:38 बजे आया. एक बयान में कहा कि भूकंप का केंद्र पृथ्वी की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में था. 19 फरवरी, 2023 को नंदगांव में भूकंप आया. भूकंप के बाद किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग डिवीजन के प्रोफेसर सुभादीप बनर्जी ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली भूकंप के लिए संवेदनशील है क्योंकि यह तीन प्रमुख फॉल्ट लाइनों पर स्थित है. उन्होंने समझाया कि दिल्ली में एक दिलचस्प इलाका है. दिल्ली के एक तरफ अरावली क्षेत्र की शाखाएं हैं और दूसरी तरफ यमुना के बाढ़ क्षेत्र हैं. इलाके और कुछ भूगर्भीय कारक दिल्ली को बड़े भूकंपों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं.

 

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