UP: बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा- अयोध्या में होनी चाहिए अब विकास की बात
इकबाल अंसारी (Photo Credits: Facebook)

लखनऊ: बाबरी मस्जिद (Babari Masjid) विध्वंस के तकरीबन 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं.  हालांकि इस मामले का सुप्रीमकोर्ट से निर्णय भी आ गया है, शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद रामजन्मभूमि में मंदिर निर्माण शुरू है. उधर, मस्जिद के लिए अयोध्या जनपद में ही 5 एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी जा चुकी है. मस्जिद निर्माण का भी पूरा खाका तैयार कर लिया गया है. अयोध्या विकास प्राधिकरण से नक्शा पास होने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है.  इस पूरे मामले में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari)  का कहना है कि न्यायालय से निर्णय आने के बाद अब इस मुद्दे के लिए कोई जगह नहीं है, हमें अब काला दिवस भी नहीं मनाना है और न ही कोई विरोध करना है.

आईएएनएस से विशेष वार्ता में उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान यह मुद्दा जानबूझकर उछाला जाता है. इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद के लिए जो जमीन दी है, उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड सेन्ट्रल बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है. ऐसे में अब इस मुद्दे को लेकर पक्षकारों का कोई लेना देना नहीं है. पुर्नविचार याचिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो इस कमेटी में नहीं है, वे यह मसला उछाल देते हैं. वैसे अब लोगों को मंदिर मस्जिद छोड़कर विकास की बात करनी चाहिए. सियासी लोग भी विकास को बात करें तो बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि कोर्ट से जो भी निर्णय आया है, उससे हम संतुष्ट हैं। इस मामले को अब आगे नहीं खींचना चाहते हैं. यह भी पढ़े: अयोध्या मामला: बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी का बयान, कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिन्दू-मुस्लिम विवाद का अंत हो जाएगा

एक दूसरे सवाल के जवाब में इकबाल अंसारी कहते हैं कि अब 6 दिसंबर को काला दिवस मनाने की जरूरत नहीं है और न ही ऐसा कुछ करना चाहिए। हिंदुस्तान में मंदिर और मस्जिद के नाम पर अब कोई बखेड़ा नहीं खड़ा होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि जब भी चुनाव आता है तो लोगों को मंदिर और मस्जिद मुद्दे पर बरगलाया जाता है. इस तरह के चुनावी हथकंडे इस्तेमाल करने की जगह विकास और रोजगार के मुद्दे पर जोर होना चाहिए.

बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, " देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला 9 नवंबर को सुना दिया है.  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या सहित पूरे हिंदुस्तान में सुकून रहा. हम यही चाहते हैं कि मुसलमानों की तरफ से अब कहीं भी कोई काला दिवस न मनाया जाए.

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "हम यह चाहते हैं कि भारत में मंदिर और मस्जिद के नाम पर शांति होनी चाहिए। लोग विकास की बात करें, रोजगार की बात करें. अयोध्या में विकास की बहुत बड़ी कमी थी. आज भी है, इसलिए अब केवल विकास और रोजगार की ही बात होनी चाहिए। मंदिर-मस्जिद और जात-धर्म के नाम पर लोगों को बांटना उचित नहीं. धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह किया जाता है। अब यह बंद होना चाहि.

कौन हैं इकबाल अंसारी:

इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के सबसे पुराने पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे हैं. इनके मरहूम पिता हाशिम अंसारी ने वर्ष 1949 से 2016 तक मस्जिद की पैरवी की थी. पिता की मौत के बाद इकबाल अंसारी ने बतौर पक्षकार बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई लड़ी. हाशिम अंसारी की तरह इकबाल अंसारी भी एक धर्मनिरपेक्ष मुसलमान के तौर पर जाने जाते हैं.

यही कारण है कि बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई के दौरान उन्होंने कभी भी हिंदू-मुस्लिम एकता पर आंच नहीं आने दी. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का आदर करते हुए उन्होंने मामले को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया और अपने इस फैसले पर वह आज भी अडिग हैं.