UP: यूपी में प्रदूषण की जगह आय का स्रोत बनेगी पराली
CM Yogi Adityanath | PTI

लखनऊ, 27 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश को पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से जल्द निजात मिलेगी. यही नहीं, प्रदेश में पराली से कंप्रेस्ड गैस (सीएनजी) का उत्पादन होगा, जिससे आय के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इसके साथ ही शुद्ध जैविक खाद (ग्रीन एनर्जी) का भी उत्पादन होगा, जिसके इस्तेमाल से होने वाली पैदावार के सेवन से बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सकेगा. दरअसल, सीएम आदित्यनाथ योगी ने प्रदेश में जैव ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए जैव ऊर्जा नीति 2022 को जारी किया है. इस नीति के तहत बड़े पैमाने पर निवेश का लक्ष्य रखा गया है. कई बड़े निवेशकों ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में प्रदेश सरकार के साथ एमओयू किया, जो अब धरातल पर उतरने जा रहा है. योगी सरकार ने हर तहसील में बायोगैस प्लांट का लक्ष्य रखा है, जिसमें से कुछ जल्द ही शुरू होने के लिए तैयार हैं.

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जो प्लांट शुरू होने को तैयार हैं उनमें बुलंदशहर का बुलंद बायोगैस भी है, जिसकी स्थापना ग्राम लौहगला तहसील में हो रही है. बुलंद बायोगैस ने प्रदेश सरकार के साथ 18.75 करोड़ रुपए का एमओयू किया था, जिसकी कॉस्ट बढ़कर अब 21 करोड़ रुपए हो गई है. यह प्लांट दिसंबर में अपना उत्पादन शुरू कर देगा. इस प्लांट से प्रतिदिन 3 टन सीएनजी का उत्पादन होगा, जिससे प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी. वहीं 80 से 100 लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इनमें स्किल्ड और अनस्किल्ड दोनों तरह के लोगों को रोजगार प्राप्त होगा. बुलंद बायो गैस के ओनर अतहर अहमद ने बताया कि प्लांट में सिर्फ पराली ही नहीं, बल्कि पुआल,गोबर, भूसा, गन्ने की मैली, म्युनिसिपल वेस्ट जैसे डिग्रेडेबल वेस्ट से कंप्रेस्ड बायोगैस या ये कहें कि सारी गैसों का मिक्सचर बनता है. इसको टेक्नोलॉजी की मदद से सीएनजी को प्यूरीफाई किया जाता है. इस प्लांट के लिए इंडियन ऑयल से लाइसेंस मिल चुका है. यह भी पढ़ें : Laapataa Ladies: किरण राव की ‘लापता लेडीज’ की लीड कास्ट को फाइनल करने से पहले 5000 एस्पायरिंग एक्टर्स के हुए थे ऑडिशन,फिल्म टीआईएफएफ में बटोर चुकी है तारीफें!

उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट की सबसे अच्छी बात ये ही इसमें बड़ी मात्रा में जैविक खाद का उत्पादन होगा. कंप्रेस्ड गैस के उत्पादन में जो वेस्ट निकलेगा वो 100 प्रतिशत जैविक होगा. यह वेस्ट सॉलिड भी होगा और लिक्विड भी. जो लिक्विड जैविक खाद होगी प्लांट की ओर से उसे 3 साल तक किसानों को मुफ्त दिया जाएगा. इन किसानों को डीएम या सीडीओ चिन्हित करेंगे. इससे उन किसानों को फायदा होगा जो फर्टिलाइजर, डीएपी, यूरिया नहीं खरीद पाते हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है और इसके लिए जैव ऊर्जा नीति 2022 लेकर आए. इसके अंदर उन्होंने बहुत सारी सुविधाएं प्रदान कीं. पहली सुविधा ये रही कि जिनके पास एलओआई लाइसेंस आ गए हैं, वो इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी इसमें 75 लाख से लेकर 20 करोड़ रुपए तक अधिकतम सब्सिडी प्रदान कर रही है.

यही नहीं, बिजली पर जो सरचार्ज लगता है उसमें 10 साल के लिए छूट दी गई है. स्टांप ड्यूटी में भी 10 साल तक के लिए छूट कर दी गई है तो लैंड डेवलपमेंट चार्जेस को भी 10 साल तक के लिए निशुल्क कर दिया गया. कृषि के जानकर बताते हैं कि जैविक खाद और लिक्विड खाद का ये फायदा है कि खेती उपजाऊ जमीनों में फर्टिलाइजर खादों की एक मोटी लेयर बिछ चुकी है. वह पेड़ पौधों की जड़ों तक पहुंचने में समय लेती है. वहीं, जैविक खाद को इसमें डालेंगे तो यह 2 से 3 घंटे में जड़ तक पहुंच जाएगी. इससे किसानों का तो फायदा होगा ही, साथ ही आम लोगों को भी शुद्ध जैविक फूड मिल सकेगा. शुद्ध खान-पान से लोगों की सेहत को फायदा होगा.