UP: योगी सरकार का आदेश, सभी कर्मचारियों को ऑनलाइन संपत्ति विवरण देना अनिवार्य
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने चल और अचल संपत्तियों का विवरण ऑनलाइन जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने चल और अचल संपत्तियों का विवरण ऑनलाइन जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है. यदि कर्मचारी इस निर्देश का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें अगस्त महीने का वेतन नहीं मिलेगा. इससे पहले भी आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के लिए इसी प्रकार का नियम लागू किया गया था.
निर्देश की शुरुआत और पालन की स्थिति
प्रारंभ में, कार्मिक विभाग ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कर्मचारियों को 30 जून तक अपनी संपत्ति का विवरण जमा करने के लिए कहा गया था. निर्देश दिया गया था कि जो कर्मचारी ऐसा नहीं करेंगे, उन्हें पदोन्नति के लिए अयोग्य माना जाएगा. इसके बावजूद, कई कर्मचारियों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया, जिससे विभाग को समय सीमा को बढ़ाकर 31 जुलाई करना पड़ा.
हालांकि, मंगलवार को जारी एक आदेश में मुख्य सचिव ने खुलासा किया कि स्पष्ट निर्देशों के बावजूद केवल 26% कर्मचारियों ने मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति का विवरण जमा किया है. यह अनुपालन दर अत्यधिक असंतोषजनक मानी गई.
मुख्य सचिव ने आगे जोर दिया कि केवल वे कर्मचारी जिन्होंने अपनी संपत्ति का विवरण जमा किया है, उन्हें ही अगस्त का वेतन मिलेगा. इसके साथ ही, विभाग प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे मुख्य सचिव के कार्यालय को अनुपालन स्थिति की रिपोर्ट दें.
मानव संपदा पोर्टल और नियमों का पालन
कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मानव संपदा पोर्टल पर पंजीकृत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों में से केवल 26% ने अपनी संपत्तियों का आवश्यक विवरण प्रदान किया है.
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने एक आदेश जारी किया है जिसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से 1956 के उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी नियम, नियम 24 के अनुसार, अपनी चल और अचल संपत्तियों का विवरण मानव संसाधन पोर्टल के माध्यम से घोषित करने का आग्रह किया गया है.
सरकार का उद्देश्य और पारदर्शिता
राज्य सरकार द्वारा विकसित मानव संसाधन पोर्टल का उद्देश्य अपने कर्मचारियों को समय पर, प्रभावी और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करना है. इस आदेश के माध्यम से, सरकार अपने कर्मचारियों की संपत्ति की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहती है, जिससे कि प्रशासनिक कार्यों में अधिक पारदर्शिता और ईमानदारी आ सके.