नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) सरकार पर आरोप लगाया है कि नए सख्त नियमों के जरिये अब उन लोगों के खिलाफ कुर्की और वसूली संबंधी कार्रवाई की तैयारी हो रही है जिन्हें कोरोना काल में मुफ्त राशन दिया था. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने शनिवार को ये आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश शासन के कदम खाद्य सुरक्षा कानून के उल्लंघन है. UP: अमेठी में गरजे CM योगी, कहा- हम गोमाता को कटने नहीं देंगे, गाय पालने वाले को हर महीने 1 हजार रुपये देंगे
उन्होंने कहा, भाजपा के तमाम नेता और खुद प्रधानमंत्री बार-बार ये जताने से नहीं चूकते कि कैसे उन्होंने महामरी की आपदा के दौरान मुफ्त राशन बांटा, लेकिन असलियत यह है कि लोगों को दो वक्त की रोटी भी चुनावों को ध्यान में रखकर दी गई थी और अब चुनाव खत्म तो लोगों के पेट पर लात मारने की तैयारी की जा रही है.
उन्होंने कहा, भाजपा का असली चाल, चरित्र और चेहरा एक बार फिर लोगों के सामने आ चुका है. नए कानून के तहत राशन कार्ड के लिए कुर्की से लेकर मुकदमा तक दर्ज किया जायेगा.
उत्तर प्रदेश के जिला आपूर्ति अधिकारीयों और जिलाधिकारियों की ओर से कहा गया है कि नए नियमों के तहत राशन कार्ड के लिए पात्र मात्र वह लोग होंगे जिनकी खुद की जमीन ना हो, पक्का मकान न हो, भैस, बैल, ट्रैक्टर ट्रॉली ना हो, मोटरसाइकिल ना हो, मुर्गी पालन और गौ पालन ना करता हो, शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता न मिलती हो, बिजली का बिल न आता हो, जीविकोपार्जन के लिए कोई आजीविका का साधन न हों. मतलब गरीबी दूर करने के बजाय मोदी सरकार में गरीब बने रहने में ही फायदा है. ऐसे तमाम मानक के चलते अपात्र घोषित कर राशन कार्ड तुरंत निरस्त कर दिया जायेगा और अगर यह तथाकथित अपात्र स्वयं राशन कार्ड नहीं दे देते हैं तो इनसे कोरोना जैसी महामारी के दौरान दिए हुए राशन की वसूली और कुर्की तक की जाएगी.
कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया, इस देश में 84 प्रतिशत लोगों की आय कम हो गई है, लोगों की नौकरियां नष्ट हो गयीं, महंगाई से लोगों की कमर टूट रही है. उस दौरान यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी राशन कार्ड धारक अगर अयोग्य पाया जाता है तो उससे 24 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं, 32 रुपए प्रति किलोग्राम चावल की दर से वसूली होगी.
उन्होंने सवाल किया, लोगों से तो आप कुर्की की धमकी देकर, वसूली का डर दिखाकर राशन कार्ड जबरन वापस ले लेंगे, लेकिन उन अधिकारियों का क्या होगा जिन्होंने तथाकथित अपात्रों को राशन कार्ड दिए? उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी?
उन्होंने कहा कि क्या यह मानक राशन कार्ड देते वक्त इस्तेमाल किए गए थे? क्या मानक राशन कार्ड देने के बाद बदले गए हैं?
तथाकथित गलत राशन कार्ड दिए जाने पर पहली कार्रवाई अधिकारियों के खिलाफ क्यों नहीं, जिन्होंने अपात्रों को राशन कार्ड दिया? अगर अपात्रों के पास राशन कार्ड से राजस्व को नुक्सान हुआ तो अधिकारियों की क्या जवाबदेही होगी?