Zero Shadow Day 2023: बेंगलुरु 25 अप्रैल को एक अनोखी खगोलीय घटना का गवाह बनेगा. इस दौरान कुछ समय के लिए शहर में वस्तुओं की छाया नहीं होगी. इसीलिए इसे शैडो डे कहा जा रहा है. यह घटना दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर होगी.
बेंगलुरु के कोरमंगला में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) इस अवसर पर अपने परिसर में कार्यक्रम आयोजित करेगा. बेंगलुरु के कई निवासी कार्यक्रम को तस्वीरें ट्वीट कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें- Elon Musk Congratulates ISRO: एलन मस्क ने इसरो को दी बधाई, अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने हासिल किया बड़ा मुकाम
जीरो शैडो डे क्या है?
एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) के अनुसार, सूर्य की वजह दोपहर के समय किसी भी वस्तु की छाया जमीन पर नहीं दिखेगी. एएसआई ने आगे कहा कि जीरो शैडो डे वर्ष में दो बार ट्रॉपिक्स (कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच) के स्थानों के लिए होता है. इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए, सूर्य का झुकाव उत्तरायण और दक्षिणायन दोनों के दौरान उनके अक्षांश के बराबर होगा.
ऐसा क्यूं होता है?
एएसआई ने कहा कि पृथ्वी का घूर्णन अक्ष सूर्य के चारों ओर अपनी परिक्रमा के तल पर 23.5 डिग्री पर झुका हुआ है, जिसके कारण अलग-अलग मौसम होते हैं. इसका अर्थ है कि सूर्य, दिन के अपने उच्चतम बिंदु पर, आकाशीय भूमध्य रेखा के 23.5 डिग्री दक्षिण से भूमध्य रेखा (उत्तरायण) के 23.5 डिग्री उत्तर की ओर जाएगा, और एक वर्ष में फिर से (दक्षिणायन) वापस आ जाएगा.
इस घूर्णी गति के कारण, एक शून्य छाया दिवस उत्तरायण (जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है) के दौरान पड़ता है, और दूसरा दक्षिणायन (जब सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ता है) के दौरान पड़ता है. 23.5 डिग्री उत्तर और 23.5 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के बीच रहने वाले लोगों के लिए, सूर्य की दिक्पात उनके अक्षांश के दो बार बराबर होगी.
शून्य छाया दिवस की अवधि कितनी होती है?
वास्तविक घटना केवल एक सेकंड के एक अंश तक रहती है, लेकिन इसका प्रभाव डेढ़ मिनट तक देखा जा सकता है. ओडिशा में भुवनेश्वर ने भी 2021 में जीरो शैडो डे का अनुभव किया है.