Union Budget 2020: बजट से पहले बड़ी खबर, 72 प्रतिशत भारतीयों को लगता है मोदी राज में बढ़ी महंगाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में रोजमर्रा की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण आम जनता में बेचैनी बढ़ रही है. केंद्रीय बजट से पहले किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. आईएएनएस-सीवीओटर सर्वेक्षण में लगभग तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने कहा कि मुद्रास्फीति (महंगाई) बढ़ गई है और लगभग 40 प्रतिशत ने कहा कि बढ़ती महंगाई का उनके जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में रोजमर्रा की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण आम जनता में बेचैनी बढ़ रही है. केंद्रीय बजट से पहले किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. आईएएनएस-सीवीओटर सर्वेक्षण में लगभग तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने कहा कि मुद्रास्फीति (महंगाई) बढ़ गई है और लगभग 40 प्रतिशत ने कहा कि बढ़ती महंगाई का उनके जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. मोदी की अगुवाई वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि के बाद से पहले से ही निशाने पर बना हुआ है. खासकर प्याज की बढ़ी कीमतों ने देश भर के घरों का गणित खराब कर दिया है.
दिसंबर माह में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी रहा, जो पांच साल में सबसे अधिक था. यह जुलाई 2016 के बाद पहली बार है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति सरकार द्वारा आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के लिए निर्धारित 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत मुद्रास्फीति बैंड सेट से अधिक हो गई. यह भी पढ़े-बजट 2020: बीते एक साल के भीतर 48 फीसदी आम लोगों के जीवन स्तर में आई 'गिरावट'
अपेक्षित मुद्रास्फीति से अधिक होने पर केंद्रीय बैंक सतर्क हो जाता है. हालांकि, आरबीआई अगली पॉलिसी बैठक में दर में वृद्धि नहीं भी कर सकता है, लेकिन दर में कटौती जो आदर्श रूप से लगातार धीमी होती अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में आनी चाहिए, वह भी अब संभव नहीं लगती है.
इसके अलावा थोक मुद्रास्फीति में डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों में भी तेजी देखी गई. नवंबर में जहां ये 0.58 प्रतिशत थी, वहीं यह उछलकर दिसंबर में 2.59 प्रतिशत हो गई. कांग्रेस ने पहले कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की इस हालत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है.