Tripura Election 2023: त्रिपुरा में वोटिंग कल, क्या बीजेपी का किला ढहा पाएगी कांग्रेस-लेफ्ट की जोड़ी?
त्रिपुरा में 16 फरवरी गुरुवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. बीजेपी के सामने इस समय बड़ी चुनौती अपना किला बचाने की है, तो वहीं धुर विरोधी लेफ्ट और कांग्रेस इस बार एक हो गए हैं. यह चुनाव इसलिए बेहद खास हो गया है.
अगरतला: त्रिपुरा में 16 फरवरी गुरुवार को विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Election 2023) के लिए मतदान होगा. बीजेपी के सामने इस समय बड़ी चुनौती अपना किला बचाने की है, तो वहीं धुर विरोधी लेफ्ट और कांग्रेस इस बार एक हो गए हैं. यह चुनाव इसलिए बेहद खास हो गया है. इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कांग्रेस-लेफ्ट मिलकर इस बार बीजेपी का किला गिरा पाएंगे. या विपक्ष के तमाम सियासी तरकीबों को ठेंगा दिखाते हुए बीजेपी अपनी सत्ता को बरकरार रख पाएगी. Tripura Assembly Election 2023: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी 16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद स्पष्ट बहुमत के सत्ता में वापसी करने वाली है. उन्होंने दावा किया कि राज्य में एक विपक्षी दल का अस्तित्व समाप्त हो सकता है, “जो लोकतंत्र के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है.”
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा चुनाव में बीजेपी की जीत होने पर पार्टी इसे “मिसाल” के रूप में इस्तेमाल करेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी अगले साल के लोकसभा चुनावों के लिए तैयार है. उन्होंने टाउन बारदोवली निर्वाचन क्षेत्र में घर-घर जाकर प्रचार करने के दौरान पत्रकारों से कहा, “वाम-कांग्रेस गठबंधन हताशा से त्रस्त है. उसे एहसास हो चुका है कि वह हार की ओर बढ़ रहा है. लोगों ने पूर्वोत्तर राज्य को किसी भी विपक्षी खेमे से मुक्त करने का मन बना लिया है, हालांकि यह लोकतंत्र के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है.”
साहा ने साथ ही आरोप लगाया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने “आसन्न पराजय को भांपते हुए” विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार किया है. हालांकि, माकपा ने कहा था कि सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
हालांकि इस बार के चुनाव में बीते चुनावों की तरह जनजातियों का भी बड़ा कार्ड टीएमसी और प्रदीप देव वर्धन की पार्टी टिपरा मोथा ने खेला है. लेकिन जनजातियों के लिहाज से बीजेपी के पास एक बड़ा ट्रंप कार्ड भी है. इस लिहाज से त्रिपुरा का चुनाव न सिर्फ रोचक हुआ है, बल्कि तमाम सियासी समीकरणों के चलते नार्थ-ईस्ट में एक बड़ा संदेश देने वाला भी चुनाव माना जा रहा है.