Firecrackers Ban: वायु और ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए पूरे साल पटाखों पर प्रतिबंध जरूरी, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को दिल्ली सरकार और एनसीआर राज्यों को आदेश दिया कि वे पूरे साल पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर विचार करें, ताकि वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सके.
नई दिल्ली, 12 दिसंबर: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार और एनसीआर के राज्यों से पूरी सालभर के लिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला लेने का निर्देश दिया. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य केवल वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि शोर प्रदूषण को भी कम करना है. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री, वितरण और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बारे में राज्यों को जल्द निर्णय लेना चाहिए और इसे अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश एमसी मेहता मामले के संदर्भ में दिया, जिसमें दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों की समीक्षा की जा रही थी. अदालत ने कहा, "पटाखों पर प्रतिबंध केवल वायु प्रदूषण को ही नहीं, बल्कि शोर प्रदूषण को भी नियंत्रित करने के लिए जरूरी है." अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रतिबंध में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री, वितरण और उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगानी चाहिए.
दिल्ली सरकार की स्थिति और सरकारी वाहन नीति पर चर्चा
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति ओका ने दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी वाहनों के बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के उपयोग पर नीति बनाने के बारे में भी सवाल उठाए. दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील सदान फारसात ने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी नई गाड़ियां इलेक्ट्रिक हैं. इसके अलावा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इस मामले पर और विचार करने का आश्वासन दिया.
अमिती कुरिया अपराजिता सिंह ने सुझाव दिया कि सरकारी वाहनों के बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का समय आ गया है, जैसा पहले CNG वाहनों की ओर बदलाव किया गया था.
निर्माण श्रमिकों के लिए जीविका भत्ता
अदालत ने एनसीआर राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ग्रेप-IV प्रतिबंधों के कारण प्रभावित निर्माण श्रमिकों को जीविका भत्ता प्रदान किया जाए. दिल्ली सरकार ने बताया कि 90,000 श्रमिकों को 8,000 रुपये का भुगतान किया गया है और 20,000 नए श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है. अदालत ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे प्रभावित श्रमिकों की सही संख्या का पता लगाएं और सुनिश्चित करें कि सभी पात्र श्रमिकों को भत्ता दिया जाए.
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का पालन
अदालत ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों, 2016 के पालन में कमी पर भी चिंता व्यक्त की और संबंधित अधिकारियों से नियमों के सही तरीके से पालन के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया.
प्रदूषण पर व्यापक नीति की आवश्यकता
अदालत ने 2022 में एनसीआर के लिए तैयार की गई "एयर पॉल्यूशन को नियंत्रित करने की नीति" का हवाला देते हुए इसके क्रियान्वयन के लिए विशेष निर्देशों की आवश्यकता पर जोर दिया. अगले सुनवाई की तारीख 19 दिसंबर, 2024 तय की गई है, जिसमें इन मामलों पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे.