उत्तर प्रदेश: एसटीएफ के हाथ लगी बड़ी कामयाबी, फर्जी टिकट बेचने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने आज राज्य परिवहन निगम की बसों में फर्जी टिकट बेचने वाले गिरोह का भंड़ाफोड़ करके उसके सरगना समेत तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने आज राज्य परिवहन निगम की बसों में फर्जी टिकट बेचने वाले गिरोह का भंड़ाफोड़ करके उसके सरगना समेत तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. एसटीएफ की ओर से यहां जारी एक बयान के मुताबिक अलीगढ, मथुरा, हाथरस, सादाबाद मार्ग पर चलने वाली परिवहन निगम की बसों में फर्जी टिकटों का वितरण करके निगम को भारी नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह के सरगना अशोक तथा उसके साथियों सुरजीत और अमित को अलीगढ़ के इगलास इलाके में गिरफ्तार कर लिया गया.

बयान के मुताबिक परिवहन निगम प्रशासन ने अपनी संचालित बसों में फर्जी टिकट गिरोह के सक्रिय होने की सूचना दी थी, जिसके बाद गत 21 अगस्त को एसटीएफ की आगरा इकाई ने रोडवेज, लखनऊ की टीम के साथ संयुक्त अभियान में फर्जी टिकट गिरोह के देवेन्द्र सिंह समेत कुल 11 बस चालकों, परिचालकों तथा बाउंसरों को गिरफ्तार किया था. इस कार्रवाई में गिरोह के दो सक्रिय एवं नामजद सदस्य अशोक तथा सुरजीत वांछित थे.

एसटीएफ को सूचना मिली थी कि अशोक अपने दो साथियो के साथ इगलास इलाके में नहर के पुल पर खड़ा है और किसी के साथ कहीं जाने वाला है. इस पर बल की टीम ने मौके पर पहुंचकर अशोक, सुरजीत और अमित को पकड़ लिया. गिरफ्तार किये गये मुख्य नामजद अभियुक्त अशोक ने पूछताछ में अपने गिरोह की कार्य प्रणाली के बारे में बताते हुए इसमें परिवहन निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबन्धक, टिकट अधीक्षक, सहायक टिकट निरीक्षक समेत कई कर्मचारियों की संलिप्तता बतायी है.

उन्होंने बताया कि मथुरा डिपो की मथुरा से अलीगढ़ रूट पर लगभग 14 बसें तथा आगरा से अलीगढ़ रूट पर 16 बसें ठेकेदारों द्वारा चलाई जा रही है. इन बसों में यात्रियों को ‘इन्स्पेक्टर टिकट’ यानी टिकट की फोटोकॉपी दी जाती है. एक बस में करीब एक तरफ से 100 यात्री यात्रा करते हैं, जबकि टिकट 20 से 25 यात्रियों को ही दिया जाता है. बाकी को फर्जी टिकट दे दिया जाता था. इस गोरखधंधे में रोडवेज के वरिष्ठ से लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों की संलिप्तता है. इन सभी का मासिक हिस्सा तय है.

‘ग्रुप’ नाम से विख्यात इस गैंग में बाउंसर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जो प्रत्येक बस में चालक, परिचालक के साथ निरंतर बस में सवार रहते है. अगर कोई यात्री खुद को दिये जाने वाले टिकट पर संदेह जताते हुए उलझने की कोशिश करता है, तो बस का बाउंसर और चालक तथा परिचालक उस मुसाफिर को ‘जेब कतरा’ घोषित कर उसके साथ तत्काल मारपीट करके उसे चलती बस से नीचे फेंक देते हैं.

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