26/11 के मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए थी: मनीष तिवारी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अपनी नई किताब में मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है. यह किताब आधिकारिक तौर पर मुंबई हमलों की बरसी के मौके पर 2 दिसंबर को लॉच की जाएगी.

मनीष तिवारी (Photo Credits : ANI)

नई दिल्ली, 23 नवंबर : कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने अपनी नई किताब में मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है. यह किताब आधिकारिक तौर पर मुंबई हमलों की बरसी के मौके पर 2 दिसंबर को लॉच की जाएगी. किताब का एक अंश, "जिस राज्य में सैकड़ों निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या करने में कोई बाध्यता नहीं है, उसके लिए संयम शक्ति का संकेत नहीं बल्कि कमजोरी का प्रतीक है. एक समय आता है जब कार्रवाई को शब्दों से ज्यादा बल देना चाहिए. 26/11 एक ऐसा समय था जब इसे किया जाना चाहिए था. इसलिए मेरा यह विचार है कि भारत को 9/11 के बाद के दिनों में प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी."

तिवारी ने मंगलवार को एक ट्वीट में अपनी नई किताब की घोषणा की. उन्होंने कहा, "यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरी चौथी पुस्तक जल्द ही बाजार में आएगी. '10 फ्लैश प्वाइंट, 20 साल-राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थितियां जिसने भारत को प्रभावित किया'. यह पुस्तक पिछले दो दशकों में भारत के द्वारा सामना किए गए सभी प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती के रूप का वर्णन करती है." यूपीए-2 सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता ने कहा कि मुंबई हमलों के बाद सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन उसने संयम दिखाया, जो ताकत का संकेत नहीं है. कांग्रेस नेता द्वारा अपने पूर्व शासन की आलोचना भाजपा को मसाला दे सकती है, जिसका पुलवामा आतंकी हमले के बाद बालाकोट हवाई हमले पर एक बिंदु होगा. यह भी पढ़ें : MSRTC Strike: महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब के आवास पर फेंका ब्लैक पेंट, 28 अक्टूबर से हड़ताल पर है हजारों कर्मचारी

कांग्रेस नेतृत्व को एक महीने में दूसरी किताब से निपटना होगा, जिससे एक और विवाद छिड़ सकता है. इससे पहले, सलमान खुर्शीद की किताब ने एक विवाद पैदा किया था जहां उन्होंने हिंदुत्व की तुलना आईएस और बोको हराम से की थी. पुस्तक में तिवारी ने कहा कि तालिबान के उदय के साथ खतरा बढ़ गया है, "पिछले दो दशकों में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौतियां जटिलता और तीव्रता दोनों में बढ़ गई थीं." इस सप्ताह, राष्ट्र 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों की 13वीं वर्षगांठ मनाएगा, जिसने 2008 में तीन दिनों के लिए देश की वाणिज्यिक राजधानी को पंगु बना दिया था, जिसमें 160 से ज्यादा लोग पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे. सुरक्षा बलों को तीन दिनों तक अभियान चलाना पड़ा और ताज से 300, ट्राइडेंट से 250 और नरीमन हाउस से 60 लोगों (12 अलग-अलग परिवारों के सदस्य) को बचाया गया.

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