Famers Protest: कृषि कानूनों से जुड़ी दलीलों पर सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ( फोटो क्रेडिट- PTI)

नई दिल्ली, 16 जनवरी : सुप्रीम कोर्ट तीनों कृषि कानूनों (Farmer Bills) को चुनौती देने वाली और दिल्ली (Delhi) की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाले किसानों को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव (L. Nageshwar Rao) और विंसेंट सरन (Vincent Saran) के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे (S.A. Bobde) की अध्यक्षता वाली एक पीठ 18 जनवरी को याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इससे पहले 12 जनवरी को शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी.

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) ने अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति से अपना नाम वापस ले लिया है. मान ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि वह किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे और इसके लिए वह कोई भी पद छोड़ने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि आम जनता के बीच प्रचलित भावनाओं और आशंकाओं के मद्देनजर, वह पंजाब या देश के किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए कोई भी पद छोड़ने को तैयार हैं.

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मान ने कहा, "मैं खुद को समिति से हटा रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा." मान के अलावा, शेतकरी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान से प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ पैनल में नियुक्त किया है. कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाते हुए, शीर्ष अदालत ने उम्मीद जताई है कि यह कदम गतिरोध को हल करने में मदद कर सकता है.

किसानों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि नए कृषि कानूनों पर उनकी शिकायतों के निवारण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति उन्हें स्वीकार्य नहीं है. हालांकि वे सरकार के साथ परस्पर वार्तालाप जारी रखेंगे. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ नौवें दौर की बातचीत के दौरान लंच ब्रेक के बाद कहा, सरकार के प्रतिनिधियों के साथ हमारी बैठक के दौरान, हमने यह स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति स्वीकार्य नहीं है.

हालांकि किसान केंद्र के साथ बातचीत जारी रखेंगे और बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश करेंगे. मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान नवंबर के अंत से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं.