सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एक समान नहीं होगी पुरुषों-महिलाओं की शादी की उम्र, PIL ख़ारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की एक समान उम्र सुनिश्चित करने का निर्देश देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह ऐसा कानून बनाने के लिए संसद को परमादेश जारी नहीं कर सकता

Supreme Court (Photo Credit- ANI)

नई दिल्ली, 20 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की एक समान उम्र सुनिश्चित करने का निर्देश देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह ऐसा कानून बनाने के लिए संसद को परमादेश जारी नहीं कर सकता. भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता-अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की भी खिंचाई करते हुए कहा : "हम यहां आपको या राजनीति के किसी भी वर्ग को खुश करने के लिए नहीं बैठे हैं. आप मुझे अनावश्यक टिप्पणियां मत दें. यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है.

मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत को संसद के परम ज्ञान को टालना चाहिए और "हमें खुद को कानून का अनन्य संरक्षक नहीं मानना चाहिए. संसद भी कानून का संरक्षक है. उपाध्याय ने कहा कि इस मामले में लैंगिक समानता से जुड़ा एक प्रश्न शामिल है और कानून के संरक्षक के रूप में अदालत को पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित करते हुए विसंगति को दूर करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए. यह भी पढ़े: Video: नाबालिग मुस्लिम लड़कियों की शादी पर केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी POCSO से बाहर नहीं

पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने उपाध्याय को बताया कि हालांकि वह पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए शादी की उम्र 21 साल चाहते हैं, याचिका में प्रार्थना शादी की न्यूनतम उम्र को पूरी तरह से निर्धारित करने वाले प्रावधान को खत्म करने के लिए थी.

प्रधान न्यायाधीश ने उपाध्याय से कहा कि इस प्रावधान को खत्म करने से ऐसी स्थिति पैदा होगी, जब महिलाओं के लिए शादी की कोई न्यूनतम उम्र नहीं होगी. पीठ ने जोर देकर कहा कि यह अनुच्छेद 32 के तहत घिसा-पिटा कानून है और वह कानून बनाने के लिए संसद को परमादेश जारी नहीं कर सकती और न ही कानून बना सकती है.

उपाध्याय ने कहा कि चूंकि पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने के लिए संसद में एक कानून लाया गया है और विचार के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है, इसलिए केंद्र सरकार से जवाब मांगा जाना चाहिए। हालांकि, उनकी दलीलें पीठ को राजी नहीं कर सकीं.सुनवाई के समापन पर उपाध्याय द्वारा की गई कुछ दलीलों से पीठ नाराज हो गई। शीर्ष अदालत द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि वह कानून बनाने के आदेश जारी नहीं करेगी, उपाध्याय ने कहा कि बेहतर होता कि दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले की जांच करने दी जाती.

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने उनसे कहा : "हम यहां आपकी राय सुनने के लिए नहीं हैं. सौभाग्य से, हमारी वैधता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आप हमारे बारे में क्या महसूस करते हैं. हम आपके बारे में जो महसूस करते हैं, उस पर आपकी अनावश्यक टिप्पणी नहीं चाहते हैं.

उन्होंने कहा, "हम यहां अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने के लिए हैं, यहां आपको खुश करने के लिए नहीं हैं। न ही हम यहां किसी राजनीतिक वर्ग को खुश करने के लिए हैं. आप बार के सदस्य हैं, हमारे सामने तथ्य के साथ बहस करें। यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है. अदालत ने उपाध्याय के इस सुझाव पर भी विचार करने से इनकार कर दिया कि यह मामला विधि आयोग को भेजने की स्वतंत्रता दी जाए.

Share Now

संबंधित खबरें

India Women Beat Ireland Women, 3rd ODI Match Full Highlights: तीसरे वनडे में टीम इंडिया ने आयरलैंड को 304 रनों से रौंदा, बल्लेबाजों के बाद गेंदबाजों ने मचाया कोहराम, सीरीज पर 3-0 से किया कब्जा; यहां देखें IND W बनाम IRE W मैच का पूरा हाइलाइट्स

Smriti Mandhana New Milestone: स्मृति मंधाना ने रचा इतिहास, तीसरे मुकाबले में बना दिए 2 ऐतिहासिक कीर्तिमान, वनडे क्रिकेट इतिहास में किया अनोखा कारनामा

India Women Beat Ireland Women, 3rd ODI Match Scorecard: तीसरे वनडे में टीम इंडिया ने आयरलैंड को 304 रनों से दी करारी शिकस्त, सीरीज में 3-0 से किया क्लीन स्वीप; यहां देखें IND W बनाम IRE W मैच का स्कोरकार्ड

India Women vs Ireland Women, 3rd ODI Match: टीम इंडिया ने रचा इतिहास, पहली बार वनडे इतिहास में बनाए 400 रन; लगा दी रिकॉर्ड्स की झड़ी

\