SC Alimony Guidelines: तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पारित किया गुजारा भत्ता देने का नया फॉर्मूला, इन 8 बिंदुओं पर तय होगा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि देशभर की सभी अदालतें इस आठ-बिंदु फार्मूले को आधार बनाकर एलीमनी की राशि तय करें. कोर्ट ने बताया कि इन बिंदुओं के आधार पर एलीमनी का निर्धारण करना जरूरी है, ताकि पत्नी के लिए एक सम्मानजनक जीवन स्तर सुनिश्चित किया जा सके.
बेंगलुरु के टेक्नीशियन अतुल सुभाष के सुसाइड मामले के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एलीमनी तय करने के लिए आठ महत्वपूर्ण बिंदुओं का निर्धारण किया है. इस मामले में अतुल ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार पर उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. उन्होंने अपनी सुसाइड नोट में न्याय प्रणाली और अपने परिवार से पैसे उगाहने की कोशिशों का जिक्र किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक तलाक के मामले में यह आदेश देते हुए कहा कि देशभर की सभी अदालतें इस आठ-बिंदु फार्मूले को आधार बनाकर एलीमनी की राशि तय करें. कोर्ट ने बताया कि इन बिंदुओं के आधार पर एलीमनी का निर्धारण करना जरूरी है, ताकि पत्नी के लिए एक सम्मानजनक जीवन स्तर सुनिश्चित किया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट के आठ बिंदु
- पति और पत्नी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति
- भविष्य में पत्नी और बच्चों की बुनियादी आवश्यकताएं
- दोनों पक्षों की शैक्षिक योग्यता और रोजगार
- आय और संपत्ति के स्रोत
- ससुराल में पत्नी का जीवन स्तर
- क्या पत्नी ने परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी है?
- काम न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई में उचित राशि
- पति की वित्तीय स्थिति, आय और अन्य जिम्मेदारियां
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक सामान्य फार्मूला नहीं है, बल्कि एक मार्गदर्शिका है जिसे एलीमनी तय करते समय ध्यान में रखा जाएगा. इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एलीमनी का निर्धारण पति को दंडित करने के उद्देश्य से नहीं होना चाहिए, बल्कि यह पत्नी को सम्मानजनक जीवन स्तर देने के उद्देश्य से होना चाहिए.
अतुल सुभाष के मामले ने भारतीय दहेज कानूनों के दुरुपयोग पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी आईपीसी की धारा 498A के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई है, जो पत्नी के प्रति उत्पीड़न से संबंधित है. अतुल ने अपनी सुसाइड नोट में न्याय की मांग करते हुए लिखा था, "न्याय बाकी है".