दक्षिण अफ्रीका को भी भारत की कोरोना वैक्सीन पर पूरा भरोसा, सीरम इंस्टीट्यूट के Covishield को दी मंजूरी, जल्द शुरू होगा आयात
दक्षिण अफ्रीका (South Africa) ने भारत की कोरोना वायरस वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ (Covishield) को हरी झंडी दे दी है. इसके तहत दक्षिण अफ्रीका सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित 'कोविशिल्ड' का आयात भारत से करेगा.
नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका (South Africa) ने भारत की कोरोना वायरस वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ (Covishield) को हरी झंडी दे दी है. इसके तहत दक्षिण अफ्रीका सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित 'कोविशिल्ड' का आयात भारत से करेगा. इस फैसले की घोषणा शनिवार को दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज्वेलि मखाइज (Zweli Mkhize) ने की. इससे एक दिन पहले ही भारत ने अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों को कोरोना वायरस वैक्सीन भेजने के बाद अफ्रीका में वैक्सीन भेजी थी. शुक्रवार की शाम को रॉयल एयर मैरोक प्लेन भारत से मोरक्को की राजधानी रबात के लिए रवाना हुआ. सात और राज्य अगले सप्ताह से कोवैक्सीन टीका लगाएंगे: स्वास्थ्य मंत्रालय
मिली जानकारी के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका को जनवरी के अंत तक भारत द्वारा कोविशिल्ड की दस लाख खुराक और फरवरी में 5 लाख खुराक आयात करने की उम्मीद है. वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है, साथ ही कोरोना के नए स्ट्रेन ने भी वहां चिंता बढ़ा दी है. जिस वजह से दक्षिण अफ्रीका ने पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण करने का निर्णय लिया है.
अफ्रीकी देश मोरक्को को वैक्सीन भेजने के बाद रबात में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, "भारत और मोरक्को के बीच उत्कृष्ट संबंधों की अभिव्यक्ति में, दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन की पहली खेप आज भारत से मोरक्को के लिए भेजी गई है." दूतावास ने बाद में अपने स्वयं के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि यह वैक्सीन सभी के लिए वहन करने अफोर्डेबल है.
उल्लेखनीय है कि बहुपक्षीय एजेंसियों सहित अफ्रीकी देश विकसित दुनिया द्वारा टीके की जमाखोरी से चिंतित हैं. कनाडा ने प्रति व्यक्ति पांच खुराक देने के लिए पर्याप्त टीकों का संग्रह किया है. अन्य पश्चिमी देशों ने भी वैक्सीन निर्माताओं से अपनी जरूरतों से कहीं अधिक टीकों को रिजर्व या एडवांस बुकिंग करवाई है. वैक्सीन की इस तरह की जमाखोरी से गरीब देशों की चिंता बढ़ गई है.