Sharda Sinha Dies: लोक गायिका शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा; छठ गीतों की लोकप्रिय आवाज हुई खामोश
नई दिल्ली: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने दिल्ली एम्स में 4 नवंबर को अंतिम सांस ली. सोमवार रात को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका. यह दुखद खबर पूरे संगीत जगत और उनके लाखों प्रशंसकों के लिए गहरा आघात है. छठ गीत की पर्याय शारदा सिन्हा ने छठ महापर्व के दौरान ही आखिरी सांस ली.
सालों साल से ‘छठ महापर्व को अपनी मधुर आवाज से सजाने वाली शारदा सिन्हा को संगीत में योगदान के लिए 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. उनके ‘छठ गीत’ और ‘विवाह गीत’ बहुत लोकप्रिय हैं.
शारदा सिन्हा को छठ गीतों की रानी भी कहा जाता था. उनके गाए छठ गीत हर वर्ष छठ पर्व पर लोगों के दिलों को छू जाते हैं. उनकी मधुर और भावपूर्ण आवाज़ ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया.
बेटे ने दी थी जानकारी
इससे पहले शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने उनकी हालत के बारे में जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि उनकी मां की तबीयत नाज़ुक है और डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल में जुटी है. हालांकि, अब शारदा सिन्हा के निधन का दुखद समाचार आया है.
कौन थीं शारदा सिन्हा?
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था. शारदा ने बचपन से ही संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया और शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1980 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से की, लेकिन असली पहचान उन्हें छठ महापर्व के लोकगीतों से मिली. उनकी आवाज़ में गाए गए गीत, विशेष रूप से छठ के गीत और विवाह गीत बिहार और उत्तर भारत में विशेष स्थान रखते हैं. उन्होंने अपनी अद्वितीय शैली से लोकगीतों को एक नई पहचान दी और उन्हें भारतीय संस्कृति की धरोहर में शामिल कर दिया.
शारदा सिन्हा ने मैथिली, भोजपुरी के साथ ही कई हिंदी गीत गाये हैं. मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन तथा गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके द्वारा गाये गीत काफी प्रचलित हुए हैं. बिहार और उत्तर भारत के राज्यों में दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह या अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीत खूब सुनाई देते हैं.