मोदी सरकार को बड़ी राहत, SC-ST एक्ट में संशोधन के खिलाफ दायर याचिका खारिज
एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) के नए कानून के ख़िलाफ़ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है. आगामी लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मोदी सरकार को राहत देते हुए देश की शीर्ष अदालत ने एससी / एसटी एक्ट के संशोधित प्रावधानों पर रोक लगाने से मना कर दिया है.
नई दिल्ली: एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) के नए कानून के ख़िलाफ़ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को खारिज कर दिया है. आगामी लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मोदी सरकार को राहत देते हुए देश की शीर्ष अदालत ने एससी-एसटी एक्ट के संशोधित प्रावधानों पर रोक लगाने से मना कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह एससी-एसटी एक्ट को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका के साथ संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी स्वीकार करेगा. याचिकाकर्ताओं ने इस मामले की सुनवाई के करने के लिए चीफ जस्टिस द्वारा एक अलग पीठ के गठन की मांग की.
याचिका में कहा गया है कि नया संशोधन समानता, जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन है. याचिकाकर्तरओ ने दलील दी थी कि सरकार ने गठबंधन दलों और राजनीतिक लाभ के लिए दबाव में आकर और अगले वर्ष के लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा वोट बैंक खोने के डर से यह संशोधन किया.
केंद्र सरकार ने लोकसभा में पिछले साल अगस्त महीने में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018 पारित किया. इस संशोधन के जरिए सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश निष्प्रभावी हो गया, जिसके तहत एससी/एसटी अत्याचार निवारण के मामले में आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी.
इसके अलावा केंद्र सरकार ने इस अधिनियम के तहत अब 47 अपराधों को शामिल किया गया, जबकि पहले इसमें सिर्फ 22 अपराधों को शामिल किया गया था. जिसके बाद देशभर में सवर्ण समाज मोदी सरकार से नाराज हो गए. इस संशोधन के खिलाफ ना केवल केंद्रीय मंत्रियों बल्कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के कई नेताओं का घेराव लोगों ने किया. वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पथराव का सामना भी करना पड़ा. बीजेपी के कई नेताओं ने विरोध में पार्टी से इस्तीफा भी दिया.