संसद की कार्यवाही बाधित होने पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव हुए निराश, बोले राजनीतिक फुटबॉल नहीं बनना चाहिए
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने गुरुवार को लगातार बाधित हो रही संसद की कार्यवाही पर निराशा जाहिर की. उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर इस संबंध में पोस्ट कर कहा, “भारतीय संसद में व्यवधान देखना निराशाजनक है, खासकर तब जब हम दुनिया के लिए लोकतंत्र का प्रतीक बनने की आकांक्षा रखते हैं.
नई दिल्ली, 12 दिसंबर : सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने गुरुवार को लगातार बाधित हो रही संसद की कार्यवाही पर निराशा जाहिर की. उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर इस संबंध में पोस्ट कर कहा, “भारतीय संसद में व्यवधान देखना निराशाजनक है, खासकर तब जब हम दुनिया के लिए लोकतंत्र का प्रतीक बनने की आकांक्षा रखते हैं.” उन्होंने कहा, “भारत के धन सृजनकर्ताओं और नौकरी प्रदाताओं को राजनीतिक बयानबाजी का विषय नहीं बनना चाहिए. अगर विसंगतियां हैं, तो उन्हें कानून के तहत ठीक किया जा सकता है. लेकिन, राजनीतिक फुटबॉल नहीं बनना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय व्यवसायों को आगे बढ़ना चाहिए. यही एकमात्र तरीका है जिससे भारत भव्य भारत बनेगा.”
बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. इस वजह से कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा नहीं हो पा रही है. पक्ष-विपक्ष के लोग इसे लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. सत्तापक्ष के नेताओं का आरोप है कि विपक्ष के नेता सदन की कार्यवाही लगातार बाधित कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के नेता लगातार इन आरोपों को सिरे से खारिज कर कहते हैं कि हम तो चाहते हैं कि सदन चले, लेकिन सत्तापक्ष के नेता ही हंगामा करके कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. यह भी पढ़ें : विपक्षी सांसदों ने अदाणी मामले पर ‘देश नहीं बिकने देंगे’ के बैनर के साथ प्रदर्शन किया
बुधवार को टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने इस संबंध में आईएएनएस से बातचीत में कहा था, “72 सालों में हमने ऐसा कभी नहीं देखा कि जो लोग सत्ता में हैं, वो लोग ही सदन नहीं चलने दे रहे हैं. वह पार्लियामेंट अफेयर्स के मंत्री हैं या भाजपा के प्रवक्ता. उन्हें यह समझना होगा कि एक पार्टी के प्रवक्ता और मंत्री के बीच बहुत फर्क होता है. हमने 72 सालों में ऐसा संसदीय मामलों का मंत्री नहीं देखा, जो सदन की गरिमा को नहीं मानते हैं. वह भाजपा के नेताओं को हंगामा करने के लिए इशारा देते हैं, ताकि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा की जा सके.”