SC On Govt job Rules: भर्ती शुरू होने के बाद नहीं बदल सकते नियम, सरकारी नौकरियों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों में बदलाव पर रोक लगाते हुए कहा कि आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में संशोधन नहीं किया जा सकता है. यह फैसला राजस्थान हाईकोर्ट के अनुवादक भर्ती मामले में सुनाया गया है, जहां चयन के बाद क्वालीफाइंग अंक 75% तय कर दिए गए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी की भर्ती प्रक्रिया को लेकर अहम फैसला सुनाया है, जिससे लाखों उम्मीदवारों को राहत मिली है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एक बार जब भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो उसके बीच में नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता. इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में अनुवादक पदों की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े मामले में सुनाया गया.

क्या है मामला?

यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट में 13 अनुवादक पदों पर भर्ती से संबंधित था. भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा और उसके बाद इंटरव्यू में हिस्सा लेना था. इस भर्ती में 21 उम्मीदवार उपस्थित हुए, जिनमें से केवल तीन को ही सफल घोषित किया गया. इसके पीछे मुख्य कारण यह था कि हाईकोर्ट ने बाद में यह नियम लागू कर दिया था कि इन पदों के लिए चयनित होने के लिए कम से कम 75% अंक प्राप्त करने जरूरी होंगे.

भर्ती के दौरान नियम बदलने पर विवाद 

असली विवाद तब पैदा हुआ जब भर्ती प्रक्रिया के दौरान 75% अंकों का नया नियम लागू किया गया, जबकि शुरुआत में यह नियम नहीं था. इस नए नियम के तहत केवल तीन उम्मीदवारों को ही चयनित किया गया और शेष बाहर हो गए. इन असफल उम्मीदवारों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की, जिसे मार्च 2010 में खारिज कर दिया गया. इसके बाद उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियम बदलना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया आवेदन पत्र जारी करने से शुरू होती है और पदों को भरने के साथ समाप्त होती है. ऐसे में, प्रक्रिया के दौरान पात्रता के नियमों में मनमाने ढंग से बदलाव करना अस्वीकार्य है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर विज्ञापन या नियमों में पहले से यह प्रावधान हो कि पात्रता में परिवर्तन हो सकता है, तो इस तरह का बदलाव किया जा सकता है. हालांकि, इस बदलाव को उचित आधार पर करना अनिवार्य होगा और यह समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व 

इस फैसले के बाद सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया के दौरान मनमाने ढंग से नियम बदलने पर रोक लग जाएगी. अक्सर राज्य सरकारें या प्रशासन भर्ती प्रक्रिया के बीच में पात्रता के मापदंडों में बदलाव कर देती थीं, जिससे कई योग्य उम्मीदवार असफल हो जाते थे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में इस प्रकार का अन्याय नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल सरकारी भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, बल्कि उम्मीदवारों के अधिकारों की भी रक्षा करेगा. सरकारी नौकरी पाने की दौड़ में अब उम्मीदवारों को बीच में नियम बदलने की चिंता से निजात मिल सकेगी.

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