आरएसएस बढ़ाएगा जम्मू-कश्मीर और दक्षिणी राज्यों में शाखाओं की संख्या

अखिल भारतीय स्तर पर खुद को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने फैसला किया है कि वह दक्षिणी राज्यों में और सबसे महत्वपूर्ण जम्मू एवं कश्मीर में और अधिक शाखाएं लगाना शुरू करेगा. झांसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चल रही बैठक में उन क्षेत्रों में प्रवेश करने का निर्णय लिया गया जहां इसकी मजबूत उपस्थिति नहीं है.

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झांसी. अखिल भारतीय स्तर पर खुद को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने फैसला किया है कि वह दक्षिणी राज्यों में और सबसे महत्वपूर्ण जम्मू एवं कश्मीर में और अधिक शाखाएं लगाना शुरू करेगा. झांसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चल रही बैठक में उन क्षेत्रों में प्रवेश करने का निर्णय लिया गया जहां इसकी मजबूत उपस्थिति नहीं है.

यह स्पष्ट दिख रहा है कि संघ का प्रयास आने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दक्षिणी राज्यों जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु और यहां तक की केरल में भी अपनी गतिविधि बढ़ाने पर रहेगा. एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने कहा, "हम इन राज्यों में शाखा खोल रहे हैं ताकि यहां समर्थन हासिल कर सकें. हम उस जनसंख्या तक भी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं, जो हिंदी भाषी नहीं है." यह भी पढ़े-सिंगर हार्ड कौर ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ पर दिए आपत्तिजनक बयान

उन्होंने कहा, "हम इन राज्यों में भाषा अवरोधों को तोड़ने और इनमें शाखा की संख्या बढ़ाने के बाबत अपने स्वयंसेवकों का उपयोग करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं.  संघ उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए जमीन तैयार करना चाहता है, जहां पार्टी अभी तक सरकार बनाने और अपनी राजनीतिक उपस्थिति स्थापित करने में सक्षम नहीं हो पाई है.

दिलचस्प बात यह है कि आरएसएस की भावी तैयारी की सूची में कश्मीर का स्थान बहुत ऊपर है जबकि यहां हिंदू आबादी बहुत कम है. पदाधिकारी ने कहा, "यह हिंदुओं के बारे में नहीं है, यह राष्ट्रवाद के बारे में है. हम स्थानीय कश्मीरी आबादी तक पहुंचना चाहते हैं और उन्हें बताना चाहते हैं कि वे हमारे हैं. राष्ट्रवाद किसी भी धर्म से बड़ा है और हम इस अवधारणा का उपयोग विशेष रूप से युवाओं के साथ जुड़ने के लिए करेंगे."

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