राजस्थान: 12वीं पास व्यक्ति डॉक्टर बन 9 साल से चला रहा था प्राइवेट क्लिनिक, पकड़े जाने पर बोला- ट्रेन में पड़ी मिली थी डिग्री
राजस्थान के सीकर में एक प्राइवेट अस्पताल में फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है. इस शख्स ने ट्रेन में गिरी हुई डिग्री को कम्प्यूटर के जरिए मोर्फ्ड किया और 9 साल तक डॉक्टर्स बनकर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया. आरोपी सभी मरीजों को एक जैसी ही दवाईयां देता था. ज्यादातर वो मरीजों को पैरासीटोमॉल देता था. डॉक्टर का पर्दाफाश तब हुआ जब एक हार्ट पेशंट महिला उसके पास इलाज के लिए आई. इलाज के बाद जब महिला की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई, जिसके बाद अस्पताल प्रसाशन ने आरोपी के बारे में जांच पड़ताल की. जांच के बाद शख्स का काला चिट्ठा सामने आ गया.
राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले के पलसाना क्षेत्र के 44 वर्षीय फर्जी डॉक्टर मान सिंह बघेल (Man Singh Baghel) की गिरफ्तारी में पुलिस जांच में पता चला है कि उसे ट्रेन में डॉक्टर की डिग्री गिरी हुई मिली थी. यूपी के आगरा जिले के मूल निवासी बघेल ने 1994 में 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण की. पूछताछ के दौरान बघेल ने बताया कि उन्होंने नौ साल तक आगरा में बिना व्यावसायिक डिग्री के क्लीनिक चलाया. वह औसतन रोजाना 25 रोगियों की देखभाल करता था. जब वह ट्रेन से मथुरा जा रहा था. तो उन्हें एक डॉक्टर की डिग्री और अन्य दस्तावेज मिले जिनकी पहचान मनोज कुमार के रूप में एक सीट पर पड़ी मिली थी. ये जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने दी. बघेल डॉक्टर मनोज कुमार के दस्तावेज एक कंप्यूटर की दुकान पर ले गया और उन्हें मॉर्फ किया. डाक्यूमेंट्स में डॉक्टर कुमार की जगह अपनी तस्वीर लगा दी. इसके बाद उन्होंने आगरा और यूपी के अन्य जिलों के अस्पतालों में आवेदन करना शुरू किया, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली.
साल 2018 सीकर के एक अस्पताल में डॉक्टर की वेकेंसी निकली, इंटरव्यू के बाद उसका सिलेक्शन हो गया. बघेल ने न सिर्फ डॉक्टर बनने का नाटक किया, बल्कि मरीजों का अजीब इलाज भी किया. अस्पताल जॉइन करने के बाद अस्पताल प्रशासन को बघेल के बारे में शिकायतें मिलने लगीं. जून में बघेल ने एक महिला हार्ट पेशंट का इलाज किया और उसकी तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद महिला को इलाज के लिए दूसरे अस्पताल भेजा गया. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन को बघेल पर शक हुआ. अस्पताल प्रसाशन ने एक टीम को आगरा भेजा और वहां उसके बारे में पूछताछ की. जब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उसकी वोटर आईडी की मतदाता जांच की गई तो उसकी नकली पहचान का पता चला.
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“दुख की बात ये है कि इलाके के कई मासूम मरीज अनजाने में‘ फर्जी डॉक्टर ’का शिकार हुए. गिरफ्तारी से पहले जब अस्पताल प्रशासन ने बघेल की डिग्री के बारे में पूछताछ की, तो उसने स्वीकार किया कि डिग्री उसकी नहीं है. इसके बाद बघेल के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई. “रानोली पुलिस स्टेशन के ऑफिसर पवन कुमार चोबे ने बताया कि, बघेल ने अस्पताल को डिग्री की एक प्रति सौंपी थी. वह वहां डॉ. मनोज कुमार के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने डिग्री पर अपनी फोटो और डॉ. मनोज कुमार के नाम के साथ फर्जी पहचान प्रमाण तैयार किया था. चोबे ने बताया, “हमें एमसीआई की वेबसाइट के माध्यम से डॉ कुमार का पता मिल गया है.
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बघेल ने पुलिस को बताया कि उसे अस्पताल से 1 लाख रुपये वेतन मिलता था. अपने आगरा क्लिनिक में वे बुनियादी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रोगियों का इलाज करते थे. उनके दो छोटे भाई भी आगरा में एक मेडिकल शॉप चलाते हैं. बघेल को धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेज़ की जालसाजी) और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) के तहत गिरफ्तार किया गया.