काम के घंटे नहीं क्वालिटी है जरूरी, Working Hours को लेकर चल रही बहस पर बोले आनंद महिंद्रा
‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025’ के दौरान महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने काम के घंटों को लेकर चल रही बहस पर अपने विचार व्यक्त किए.
नई दिल्ली: ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025’ के दौरान महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने काम के घंटों को लेकर चल रही बहस पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए काम की क्वालिटी पर ध्यान देना अधिक जरूरी है, न कि काम के घंटों की संख्या पर.
आनंद महिंद्रा ने कहा, “मैं नारायण मूर्ति और अन्य कॉर्पोरेट नेताओं का बहुत सम्मान करता हूं. लेकिन मेरी सोच यह है कि हमें काम की क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए, न कि काम के घंटों की गिनती पर. यह बात 70 या 90 घंटे काम करने की नहीं है.”
आनंद महिंद्रा ने कहा, “आप 10 घंटों में भी दुनिया बदल सकते हैं. यह इस पर निर्भर करता है कि आप अपने समय का उपयोग कैसे करते हैं, न कि आप कितने घंटे काम करते हैं.” अपने काम करने के तरीके पर बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अपने काम के घंटों की गिनती नहीं करते. उन्होंने कहा, “मुझसे पूछिए कि मेरे काम की गुणवत्ता क्या है, यह मत पूछिए कि मैं कितने घंटे काम करता हूं.”
काम की क्वालिटी जरूरी: आनंद महिंद्रा
काम के घंटे और जीवन संतुलन पर बहस
यह चर्चा तब शुरू हुई जब एलएंडटी (L&T) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यम ने 90 घंटे के कार्य सप्ताह का सुझाव दिया. इसमें रविवार भी शामिल था. उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आई, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने भी असहमति जताई.
एलएंडटी ने बाद में स्पष्ट किया कि सुब्रह्मण्यम का बयान देश निर्माण के लिए असाधारण प्रयासों को प्रेरित करने के इरादे से था, न कि किसी कठोर मानक को स्थापित करने के लिए.