Punjab Assembly Elections 2022: भाजपा के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव राज्य में अपना विस्तार करने की दिशा में एक कदम

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)को शायद इस बात का अहसास है कि इस बार विधानसभा चुनावों के बाद उसके लिए राज्य में सरकार बनाना मुश्किल हो सकता है लेकिन वह इस मौके का उपयोग अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने तथा एक ताकत बनने के लिए कर रही है.

भारतीय जनता पार्टी (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 20 फरवरी : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)को शायद इस बात का अहसास है कि इस बार विधानसभा चुनावों के बाद उसके लिए राज्य में सरकार बनाना मुश्किल हो सकता है लेकिन वह इस मौके का उपयोग अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने तथा एक ताकत बनने के लिए कर रही है. पार्टी अब स्वतंत्र रूप से राज्य में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है और इस चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 में अगले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब में अपने विस्तार के लॉन्च पैड के रूप में इस्तेमाल कर रही है.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा "मौजूदा विधानसभा चुनावों ने भाजपा को अपने संगठन का विस्तार करने और राज्यों में लोगों से जुड़ने का अवसर प्रदान किया है. वर्ष 2017 में हमने 23 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2022 में 65 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार हमारी सीटों और मत प्रतिशत में इजाफा होगा. इस चुनाव ने राज्य में पार्टी के लिए एक बेहतरीन मंच बनाया है और हम 2024 में अगले आम चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ेंगे." गौरतलब है कि भाजपा की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद)तीन कृषि कानूनों को लेकर 2020 में गठबंधन से अलग हो गई थी और इसके बाद केसरिया पार्टी नए सहयोगियों के साथ पंजाब चुनाव लड़ रही है. भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में दो नए सहयोगियों -पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठजोड़ किया है.

भाजपा गठबंधन के प्रमुख भागीदार के रूप में पहली बार 65 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रही है,जो 2017 में 23 सीटों से काफी अधिक है. भाजपा की गठबंधन सहयोगी,पंजाब लोक कांग्रेस 37 सीटों पर और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त)15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने 23 सीटों में से केवल तीन पर जीत हासिल की थी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा था "यह तो मात्र शुरूआत है और अगले पांच वर्षों में हम पंजाब के हर घर में भाजपा का कमल (पार्टी का चिन्ह)लाएंगे." भाजपा अपनी विस्तार योजनाओं के रूप में सिखों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है जिस पर गठबंधन टूटने से पहले पूर्व सहयोगी शिअद काफी ध्यान देती थी. इस बार भाजपा ने सिख उम्मीदवारों को टिकट देने में प्राथमिकता बरती है. यह भी पढ़ें : UP Election: EVM से गायब हुआ सपा का चुनाव चिंह साईकिल, चुनाव आयोग और जिला प्रशासन से की शिकायत

भाजपा अपनी सिख विरोधी छवि को दूर करने के लिए 26 दिसंबर की शहादत को वीर बाल दिवस घोषित करने, करतारपुर कॉरिडोर खोलने, लंगर (गुरुद्वारों में परोसा जाने वाला भोजन) पर जीएसटी हटाने जैसे कार्यों के जरिए प्रयास कर रही है. इसके अलावा पार्टी ने सिखों के पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को अफगानिस्तान से पूरे सम्मान के साथ वापस लाने के लिए विशेष व्यवस्था की थी. भाजपा ने शिअद पर सिखों और पार्टी के बीच फूट पैदा करने का आरोप लगाया है. भाजपा के एक नेता ने कहा "एक झूठ प्रचारित किया गया है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिख विरोधी हैं और हमारे सहयोगी शिअद ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसका समर्थन किया है." पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि इस विधानसभा चुनाव ने पार्टी को राज्य के ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बनाने और विस्तार योजना तैयार करने का मौका दिया है.

पिछले महीने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से महसूस करते हैं कि पंजाब में शिअद के साथ गठबंधन से भाजपा को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा था "जब हम गठबंधन में थे तो भाजपा ने कभी भी 22-23 से अधिक सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा और राज्य में अकालियों का दबदबा था जिसकी वजह से पंजाब में पार्टी उभर नहीं सकी थी. इस बार हमने कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा के साथ गठबंधन किया है. अब लोग हमसे जुड़ रहे हैं और अब हम समान भागीदार हैं तथा यह हमारे लिए राज्य में उभरने का अच्छा मौका है. पार्टी पंचकोणीय मुकाबले में पंजाब में अच्छा प्रदर्शन करेगी."

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